शारीरीक कमजोरी इंसान के लिए मजबूरी नहीं

* वरन्गल में एक मुस्लिम मैकेनिक‌ की कामयाब कोशिश‌
हनमकुन्डा।( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़) वरन्गल शहर अंडर रेलवे गेट इलाके के नागमया पेट्रोल पंप के सामने एक मोटर साइक़ल मैकेनिक मुहम्मद नवाब मोटर साइक़लों की मरम्मत करते हुए दिखाई देते हैं।

ग़रीब घराने के 31साला मुहम्मद नवाब वरन्गल तीन साल की उम‌र में ही पोलीयो से पिडीत‌ थे जिस के बाद वो एक हाथ और पांव‌ से माज़ूर हैं लेकिन उन्हों ने हिम्मत नहीं हारी। ज़िंदगी गुज़ारने के लिए बचपन से ही मोटर साईक़ल की मरम्मत में अपनी ज़िंदगी लगादी।

1990 में दसवीं जमात के इमतिहानात में एक मज़मून से नाकाम होगए इस के बाद रोज़गार कि तलाश के लिए दरदर की ठोकरें खाईं और आख़िर एक मैकेनिक के पास मोटर गाड़ीयों की मरम्मत का काम सीखा और इस काम में महारत हासिल करली।दो पहीयों की गाड़ी की मरम्मत करते हुए अपनी रोज़ी रोटी कमा लेते हैं।

रोज़गार हासिल करने के लिए मुहम्मद नवाब ने सरकारी दफतरों के चक्क‌र लगाते लगाते अपने आप को तसल्ली दी। आख़िर कार मैकेनिक पेशे को ग़नीमत जान कर उन्हों ने मोटर साइक़लों की मरम्मत को ही असल रोज़गार समझ लिया। मैकेनिक का काम जारी रखते हुए उन्हों ने 1995 में दुबारा दसवीं जमात का इमतिहान दिया और पास किया और शादी रचा ली, उन्हें दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की।

घर का बड़ा लड़का होने के नाते नवाब ने अपने दो भाईयों को जिस में एक भाई को अपने मददगार‌ की हैसियत से और दूसरे भाई को दसवीं जमात में तालीम दिलवाते हुए उसे तरकारी की दुकान पर काम करवा रहे हैं।चंद साल पहले उन के पिता जो लारी ड्राईवर थे उन का इंतिक़ाल होगया। और‌ दोनों भाईयों का बोझ नवाब पर पड़ चुका था और ज़िंदगी गुज़ारना मुशकिल‌ होचुका था। मुक़ामी लोगों के मुताबिक़ मजबूर और हालात का शिकार लोगों को हुकूमत की तरफ‌ से देख भाल करनी चाहीए।