नायब इमाम के तक़र्रुर का कोई क़ानूनी जवाज़ नहीं है,आज जा नशीनी की तक़रीब
दिल्ली हाइकोर्ट ने आज कहा कि जामा मस्जिद दिल्ली के शाही इमाम सय्यद अहमद बुख़ारी की जानिब से अपने फ़र्ज़ंद को अपना जांनशीन मुक़र्रर करने का कोई क़ानूनी जवाज़ नहीं है। ताहम अदालत ने हफ़्ते, को मुक़र्ररा दस्तार बंदी रोकने से हुक्म अलतवा जारी करने से इनकार कर दिया।
चीफ़ जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस आर एस अनडलो की बेंच ने कहा कि दस्तार बंदी की तक़रीब क़ानूनी नहीं है और अदालत उन के (इमाम) हक़ में कोई ख़ुसूसी मुसावात नहीं देगी। बेंच ने इस सिलसिले में नोटिस जारी करते हुए मर्कज़ी हुकूमत वक़्फ़ बोर्ड और शाही इमाम से जवाब तल्ब किया है।
शाही इमाम के फ़ैसले के ख़िलाफ़ कि वो अपने फ़र्ज़ंद को नायब इमाम मुक़र्रर करने केलिए दस्तार बंदी तक़रीब मुनाक़िद कररहे हैं। वाज़िह करते हुए मफ़ाद-ए-आम्मा की तीन दरख़ास्तों को अदालत में दाख़िल किया गया है। अदालत ने वक़्फ़ बोर्ड से सवाल किया है कि आया इस ने अब तक इमाम बुख़ारी के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की।
शाही इमाम के फ़ैसले को चैलेंज करते हुए दाख़िल करदा 3 मफ़ाद-ए-आम्मा की दरख़ास्तों पर मुबाहिस के दौरान जुमेरात के दिन मर्कज़ और वक़्फ़ बोर्ड ने अदालत से नायब मुक़र्रर करने और दस्तार बंदी करने की तक़रीब मुनाक़िद करने का कोई क़ानूनी जवाज़ नहीं है। बोर्ड ने अदालत से इस्तिफ़सार किया था कि इस मसले पर इसका क्या क़ानूनी मौक़िफ़ है क्योंकि शाही इमाम इस तक़रीब को मुनाक़िद करने वाले हैं तो उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाये जिस पर अदालत ने तक़रीब रोकने से इनकार कर दिया।