भोपाल: एक सप्ताह पहले, विपक्षी दलों द्वारा भोपाल एनकाउंटर पर सवाल उठाने पर नाराज़ होते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेहद गुस्से में देखा गया था | उन्होंने उस वक़्त कहा था कि मारे गए आरोपी सिमी के ‘खूंखार आतंकवादी’ थे, अगर उन्हें छोड़ दिया जाता तो वे कई आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सकते थे।
मीडिया के कैमरों के सामने अपने गुस्से को ज़ाहिर करने के बाद मुख्यमंत्री ने, मध्य प्रदेश स्थापना दिवस समारोह (1 नवंबर) पर एकत्र हुई जनता को संबोधित करते हुए लोगों से ‘खूंखार आतंकवादियों’ की हत्या के समर्थन में हाथ उठाने के लिए कहा था।
लेकिन सोमवार को, जब राज्य सरकार ने 31 अक्टूबर को जेल तोड़कर भागने और सिमी भगोड़ों की मुठभेड़ की न्यायिक जांच के औपचारिक आदेश किये, तब सामान्य प्रशासन विभाग ने इस आदेश में मारे गए आरोपियों विचाराधीन कैदी लिखा।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि भोपाल सेंट्रल जेल में जेल में रखे गए आठ सिमी सदस्यों में से कोई दोषी करार नहीं दिया गया था इसलिए वे कानूनी तौर पर और आधिकारिक तौर पर केवल ‘विचाराधीन कैदी ‘ थे।
लेकिन पिछले हफ्ते सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया के एक छोटे हिस्से के इस तथ्य पर जोर देने का कोई फर्क नहीं पड़ा था। क्योंकि मध्य प्रदेश के प्रतिनिधि, आरोपियों पर बात करते हुए सिर्फ आतंकवादी शब्द पर ही जोर दे रहे थे |
मीडिया का एक बड़ा वर्ग – प्रिंट और इलेक्ट्रानिक दोनों – भी अपने सभी सुर्खियों और ख़बरों में इस दौरान आतंकवादी शब्द का ही उपयोग करता रहा।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूद राजनीतिक परिस्तिथियों के चलते ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने इस घटना पर सख्त शब्दों का इस्तेमाल किया था।
शिवराज एक ऐसे मुख्यमंत्री के रूप में देखे जाते हैं जो सामाजिक संतुलन बनाए रहने की कोशिश करते हैं और अपनी इसी छवि के कारण वे अल्पसंख्यकों के एक बड़े हिस्से की वोट हासिल करने में कामयाब रहते हैं।
लेकिन पिछले कुछ समय से आरएसएस के निशाने पर रहने के कारण शिवराज इस मुद्दे पर नरम रुख रख कर अपने खिलाफ विरोध के लिए नया मुद्दा नहीं देना चाहते थे | इसलिए उन्होंने एनकाउंटर की कहानी में कई खामियों के बावजूद सख्त रुख बनाए रखा।
इस घटना के लिए पुलिस को शाबासी देकर उन्होंने पुलिस कर्मियों के खोये हुए मनोबल को वापस लाने की कोशिश भी की | ज्ञात रहे कि बलाघाट में एक आरएसएस कार्यकर्त्ता को गिरफ्तार करने के कारण कई पुलिस अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने से महकमें में सरकार के खिलाफ नाराज़गी थी |
इसके अलावा एनकाउंटर मामले में न्यायिक जांच के आदेश देकर मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे पर हो रहे मुखर विरोध पर भी कुछ वक़्त के लिए लगाम लगाने की कोशिश की है |