शीतकालीन सत्र में सरकार को घेरने के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट

16 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। शीतकालीन सत्र शुरू होने के ठीक पहले  आम जनता के लिए परेशानी का सबब बने नोटबंदी जैसे बड़े मुद्दे सहित सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी विपक्षी दल द्वारा की गयी है। तैयारी के मद्देनज़र विपक्षी एकता बनाने और सरकार को पूरी तरह घेरने के लिए कांग्रेस ने आज दिल्ली में सात अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ बैठक की है।

बंगाल, बिहार, झारखण्ड, और आंध्रप्रदेश के सभी सात  विपक्षी पार्टी  तृणमूल कांग्रेस,  जनता दल यूनाइटेड (जदयू), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भाकपा, माकपा, झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और वाईएसआर कांग्रेस के नेताओं ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद के संसद भवन स्थित कमरे में उनसे मुलाकात विपक्षी एकता के साथ सरकार को घेरने की रणनीति पर पर चर्चा की।

इस बैठक में चिर प्रतिद्वंद्वी तृणमूल कांग्रेस और माकपा मोदी सरकार के खिलाफ एक मंच पर नजर आए। गौरतलब है कि दो दिन पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बेनर्जी ने एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि वह देश को बचाने के लिए सीपीएम से दोस्ती करने को तैयार हैं.  बैठक में जदयू नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी, तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंद्योपाध्याय और डेरेक ओ ब्रायन, भाकपा के डी राजा, राजद के प्रेम चंद गुप्ता, झामुमो के सुशील कुमार और वाईएसआर कांग्रेस के एम राजामोहन रेड्डी भी शामिल थे। इस बैठक में गुलाम नबी आजाद के साथ लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा में पार्टी के उप नेता आनंद शर्मा भी मौजूद थे।

वहीँ कुछ विपक्षी पार्टियों के नेता इस बैठक से नदारद रही। जिसे लेकर तरह तरह के क़यास भी लगाए जा रहे हैं। फ़रवरी 2016  में यूपी में विधानसभा चुनाव होना है ऐसे में सरकार को घेरने की रणनीति में कौनसी पार्टी किस पाले में बैठती है यह देखना दिलचस्प होगा।  विपक्षी पार्टी सपा,  बसपा और आप ने नोटबंदी के मुद्दे पर सरकार की तीखी आलोचना की है, लेकिन इनके नेताओं ने इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया। द्रमुक, अन्नाद्रमुक और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेताओं ने भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुछ विपक्षी नेता बैठक में इसलिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि वे दिल्ली में नहीं थे। उन्होंने कहा कि वे एकजुट विपक्ष का हिस्सा हैं। विपक्ष की एकजुटता से आने वाले संसद सत्र में सरकार को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। साझा विपक्ष विभिन्न मुद्दों पर संसद में सरकार को परेशानी में डाल सकता है।