शीया रहनुमा को दी गई सज़ा-ए-मौत आले सऊद का ज़वाल

मशरिक़े वुस्ता के सरकरदा शीया सियासी हल्क़ों की तरह ईरान ने भी सऊदी शीया रहनुमा नमर को दी गई सज़ा-ए-मौत की सख़्त मुज़म्मत की है। ईरान के आयतुल्लाह खातमी के बाक़ौल नमर की मौत सऊदी अरब पर हुक्मरान आले सऊद के ज़वाल की वजह बनेगी।

नमर अल नमर की उम्र 56 बरस थी और वो उन 47 अफ़राद में शामिल थे, जिनको सऊदी अरब में दहशतगर्दी के जुर्म में सुनाई गई सज़ा-ए-मौत पर आज हफ़्ता दो जनवरी के रोज़ अमल दरामद कर दिया गया।

इन अफ़राद में से कई एक ने अरब स्प्रिंग के दौरान 2011 में सऊदी अरब में होने वाले उन मुज़ाहिरों में हिस्सा लिया था, जिनका मक़सद ख़लीज की इस रियासत में शीया मुस्लिम अक़्लीयत को मुआशरे के मर्कज़ी धारे से दूर रखे जाने के ख़िलाफ़ एहतेजाज था। उन मुज़ाहिरों के दौरान सऊदी अरब के ज़्यादातर शीया अक़्लीयती आबादी वाले मशरिक़ी सूबे में कई अफ़राद मारे गए थे और बीसियों गिरफ़्तार भी कर लिए गए थे।

मुख़्तलिफ़ न्यूज़ एजैंसीयों के मुताबिक़ उन 47 अफ़राद में से, जिन्हें सज़ा-ए-मौत दे दी गई, नमर के इलावा चंद दीगर शीया रहनुमा भी शामिल थे। ताहम उनमें बड़ी अक्सरीयत सुनी जिहादी मुस्लमानों की थी। इन सब अफ़राद पर दहशतगर्दी के इर्तिकाब का इल्ज़ाम था।