शीला के खिलाफ FIR के लिए मांगे हुक्म

वज़ीर ए आला शीला दीक्षित के खिलाफ बदउनवान रोकथाम कानून के तहत एफआईआर दर्ज करने के लिए एंटी करप्शन ब्रांच ने विजिलेंस निदेशालय से हुक्म मांगे हैं। लोकायुक्त ने अपने एक हुक्मनामे में वज़ीर ए आला को पब्लिक मनी के गलत इस्तेमाल का जिम्मेदार बताया था। इसी को मबनी / बुनियाद बनाकर एंटी करप्शन ब्रांच ने सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है।

एक आरटीआई का जवाब देते हुए एंटी करप्शन ब्यूरो ने बताया कि सीएम के खिलाफ क्रिमिनल कंप्लेंट हमने विजिलेंस को फॉरवर्ड कर दी है और हमें उनके हुक्म का इंतजार है। कंप्लेन करने वाले एडवोकेट विवेक गर्ग ने कहा कि अगर एंटी करप्शन ब्यूरो अपने पास आई शिकायत को फॉरवर्ड करता है तो इसका मतलब है कि वह शिकायत को सही पाते हुए विजिलेंस से इजाजत मांग रहा है। अगर शिकायत सही नहीं होती तो एंटी करप्शन ब्यूरो उसे अपने सतह पर ही खारिज कर देता। उन्होंने उम्मीद जताई कि ब्यूरो को जल्द ही विजिलेंस की तरफ से हुक्मनामे मिल जाएंगे।

गर्ग ने एंटी करप्शन ब्यूरो को वज़ीर ए आला , जिम्मेदार वज़ीरो, डायरेक्टरेट ऑफ ऐडवर्टाइज़मेंट एंड पब्लिसिटी, फाइनेंस डिपार्टमेंट के आफीसरों के खिलाफ क्रिमिनल कंप्लेन दी है। 2008 के विधानसभा इंतेखाबात में कांग्रेस ने होर्डिंग्स और इश्तेहारात पर करीब 22 करोड़ रुपये खर्च किए थे। इसकी शिकायत बीजेपी ने पब्लिक कमिश्नर से की थी। कुछ वक्त पहले ही पब्लिक कमिश्नर ने इस मामले में अपना ऑर्डर दिया। लोकायुक्त (पब्लिक कमिश्नर) ने सीएम को सरकारी खजाने के गलत इस्तेमाल का जिम्मेदार पाया था।

सीएम पर इल्ज़ाम लगे थे कि उन्होंने 2008 के इलेक्शन में तशहीर के लिए सौ गुना ज्यादा खर्च करते हुए सिर्फ होर्डिंग्स और इश्तेहारात पर ही 22 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे जबकि उनका सालाना बजट सिर्फ 15 लाख रुपये का था। 2008 में सीएम खुद सूचना और प्रसार विभाग का काम देख रही थीं।

पब्लिक कमिश्नर ने अपने हुक्म में कहा कि सीएम के साथ सूचना और प्रसार विभाग की इंचार्ज रही Defendant ने दिल्ली हुकूमत के सभी महकमो और वज़ारतों की तरफ से जारी इश्तेहारात पर कड़ी नजर रखी और इस तरह वह सीधे तौर पर इसके लिए जिम्मेदार हैं।

लोकायुक्त जस्टिस मनमोहन सरीन ने सदर जम्हूरिया से यह भी सिफारिश की थी कि वह वज़ीर ए आला को यह सलाह दें कि वह खुद या उनकी पार्टी की ओर से इश्तेहार पर आई लागत की आधी रकम 11 करोड़ रुपये या जो भी रक़म सदर जम्हूरिया सही समझते हों, वापस कर दें। पब्लिक कमिश्नर के इसी फैसले को बेस बनाते हुए विवेक गर्ग एंटी करप्शन ब्यूरो के पास गए।