शुमाली हिंदूस्तानियों के काम ना करने से मुंबई की ज़िंदगी थम नहीं सकती: शिवसेना

मुंबई 04 नवंबर (पी टी आई) शिवसेना ने आज अपने ही साबिक़ रुकन और मौजूदा कांग्रेस एम पी संजय नरोपम के इस ब्यान पर शदीद नाराज़गी का इज़हार किया, जहां उन्हों ने कहा था कि शुमाली हिंदूस्तानी अगर चाहें तो मुंबई को बंद कर सकते हैं, जिस पर शिवसेना ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि शुमाली हिंदूस्तानियों को सब से पहले ये सोचना चाहीए कि उन्हें मुंबई में काम करने रियासत महाराष्ट्रा ने मदऊ नहीं किया है।

शिवसेना के तर्जुमान अख़बार सामना में एक ईदारिया मैं दोटूक अंदाज़ में शिवसेना ने अपना मौक़िफ़ ज़ाहिर करते हुए कहा कि शुमाली हिंदूस्तानियों को मुंबई बुलाया किसने है?।

वो यहां सिर्फ रोज़ी रोटी कमाने आते हैं और मुस्तक़िल तौर पर यहीं रिहायश इख़तियार करलेते हैं। अगर यू पी और बिहार के लोग आटो रिक्शा चला सकते हैं, दूध और तरकारी फ़रोख़त करसकते हैं तो ये भी देखना चाहीए कि वो गै़रक़ानूनी सरगर्मीयों में भी मुलव्वस हैं।

अगर वो (शुमाली हिंदूस्तानी) ऐसा सोचते हैं कि वो मुंबई को बंद करसकते हैं, यानी मुंबई उन के बगै़र नहीं चल सकती तो वो बेशक अपनी भैंसों और तबीलों (डोडी) को वापिस अपने आबाई वतन ले जा सकते हैं।

ईदारिया में आगे चल कर तहरीर किया गया है कि ये बात अपनी जगह मुस्लिम है कि शुमाली हिंदूस्तानियों ने कई छोटे छोटे कारोबार भी शुरू किए हैं, जिन पर इन का मुकम्मल कंट्रोल है, लेकिन इस का मतलब ये नहीं कि वो अगर काम करना छोड़ दें तो मुंबई पर जमूद तारी हो जाएगा।

अगर ऐसा हुआ तो दीगर मेहनती अफ़राद उन की जगह पर काम के लिए आजाऐंगी। मुंबई एक ऐसा शहर है, जो दिन रात भागता रहता है और यहां पर मेहनती अफ़राद की कोई कमी नहीं है।

अगर शुमाली हिंदूस्तानी दूध की सरबराही बंद कर देंगे तो क्या मुंबई वाले काली चाय पीना शुरू कर देंगॆ ?। हरगिज़ नहीं! ऐसा हो ही नहीं सकता।