शुमाली हिंदूस्तान में ख़वातीन का एहतिराम नहीं किया जाता

पंची, 26 दिसंबर: ( पीटीआई) दिल्ली इजतिमाई इस्मत रेज़ि के पस-ए-मंज़र में मारूफ़ गुलूकार-ओ-नग़मा निगार रब्बी शेरगिल ने आज एक चुभता हुआ बयान देते हुए कहा कि मुल्क के शुमाली हिस्से में ख़वातीन के लिए एहतिराम का जज़बा नहीं पाया जाता ।

लिहाज़ा हुकूमत का फ़र्ज़ है कि शुमाली हिस्से में लोगों के रवैय्या में तबदीली लाई जाए । पी टी आई से बात करते हुए शेरगिल ने कहा कि हिंदूस्तान का शुमाली हिस्सा ख़वातीन का एहतिराम करने से क़ासिर है । ख़वातीन को घरों से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचना पड़ेगा ।

उन्होंने कहा कि इस्मत रेज़ि के जितने भी वाक़ियात हुए हैं इनमें से 75% वाक़ियात मुल्क के शुमाली इलाक़ों में रौनुमा हुए हैं । गोवा और महाराष्ट्रा में ख़वातीन के तईं एहतिराम का जज़बा पाया जाता है हालाँकि गोवा में भी हालिया अर्सा में बैरूनी ख़ातून सैय्याहों के साथ दस्त दराज़ी के वाक़ियात पेश आए लेकिन मजमूई तौर पर यहां ख़वातीन महफ़ूज़ हैं।

उन्होंने ऐसी सूरत-ए-हाल की तारीख़ी वजह बताई जो शायद उनकी अपनी मंतिक़ कही जा सकती है । मिस्टर शेरगिल ने कहा कि ज़माना-ए-क़दीम से हिंदूस्तान पर कई बैरूनी हमलावरों ने हल्ला बोलते हुए यहां की दौलत को लूटा और माले ग़नीमत के तौर पर ख़ूबसूरत ख़वातीन को अपने साथ ले गए और शायद यही वजह है कि हम हिंदूस्तान के ज़वाल ( वो ज़माना जब हिंदूस्तान सोने की चिड़िया कहलाता था) के लिए ख़वातीन को ज़िम्मेदार ठहराने लगे ।

यहां हमसे मुराद है शुमाली हिंदूस्तान लेकिन अब हालात बदल चुके हैं ज़माना बदल चुका है लिहाज़ा ख़वातीन केलिए हमारी सोच में भी तबदीली आना ज़रूरी है ।