शेख़ मुजीब के ख़ानदान का क़त्ल पर बंगला देश में नए नावेल पर पाबंदी

बंगला देश में पहले सदर-ए-ममुल्क त (राष्ट्रपती) शेख़ मुजीब -उर-रहमान और उन के अहल-ए-ख़ाना के अगस्त 1975 में क़त्ल से मुताल्लिक़ मुल्क के मारूफ़ नावेल निगार हुमायूँ अहमद के लिखे गए एक नावेल दयाल पर पाबंदी लगा दी गई है। ढाका से मौसूला रिपोर्टस के मुताबिक़ मंगल के रोज़ ये पाबंदी इस वजह से लगाई गई कि हुमायूँ अहमद ने तक़रीबन 37 बरस क़ब्ल पेश आए उन खूँरेज़ वाक़ियात से मुताल्लिक़ हक़ायक़ (सच्चाई) को मुबय्यना तौर पर तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश की है।

हुमायूँ अहमद बंगला देश के मारूफ़ नावेल निगार हैं जिन की बंगाली ज़बान में बेस्ट सेलर साबित होने वाली कई तसनीफ़ात (लेख) मुतअद्दिद (बहुत से) ग़ैर मुल्की ज़बानों (अंतर्राष्ट्रीय भाषाओँ) में तर्जुमा हो चुकी हैं। शेख़ मुजीब -उर-रहमान मौजूदा वज़ीर-ए-आज़म (प्रधान मंत्री ) शेख़ हसीना के वालिद थे।