कल्बे जव्वाद ने कहा है कि शेख बकिर को फांसी की सजा देने मुनासिब नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह और जालिमाना तरीके से इस्लामी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए शिया धर्मगुरु को फांसी दी गई है।
उससे इस्लामी हुकूमत का दावा करने वाली सऊदी हुकूमत का असली चेहरा दुनिया के सामने आ गया है। हुकूमत ने एकता के बुजुर्ग आलिम को भी नहीं बख्शा।
मौलाना जव्वाद ने कहा कि सऊदी हुकूमत में अकालियतो के हक के लिए और जुल्म के खिलाफ आवाज उठाना कितना बड़ा गुनाह है, यह अब साबित हो गया है।
उन्होंने कहा कि गैरइस्लामी हुकूमत किस तरह अपने शहरियों के हक़ को छिना करती है और कैसे अकालियतो की बेरहमी से कत्ल की जाती है, दुनिया देख रही है। लेकिन अफसोस ह्युमन राइट्स भी खामोशी अख्तियार कर ली है।
उन्होंने कहा कि उनकी तंजीम शेख बाकिर और उनके तीनों साथियों की फांसी के खिलाफ 4 जनवरी को दरगाह हजरत अब्बास पर सख्त मुखालफत का मुजाहिरा करेगा।