श्रद्धांजलिः- जानें कौन थे मोहम्मद अजीज मो. रफी जैसा बनना चाहते थे ?

बॉलीवुड को मशहूर करने में अगर महाराष्ट्र के बाद देश के किसी राज्य का योगदान है, तो वह है पश्चिम बंगाल. जी हां, बंगाल के कितने ही एक्टर, एक्ट्रेस, गायक-गायिकाओं से लेकर निर्माता-निर्देशकों ने मुंबई फिल्म इंडस्ट्री को अपनी हुनर और प्रतिभा से संवारा है. बंगाल की इन्हीं प्रतिभाओं में से एक थे हर दिल अजीज गायक मोहम्मद अजीज. भारी-भरकम आवाज, लेकिन मासूमियत किसी बच्चे जैसी. बंगाल के अशोकनगर में जन्मे मो. अजीज के मन में बचपन से ही हिंदी सिनेमा के अद्भुत गायक मो. रफी जैसा बनने की ख्वाहिश थी. रफी जैसा बनने के लिए उन्होंने संगीत को चुना था. लेकिन मो. रफी के इस दुनिया को छोड़ने के 5 साल बाद उन्हें हिंदी फिल्म में पहली बार गाने का मौका मिला था. लेकिन वह कहते हैं न कि होनहार वीरबान के होत चिकने पात. सो, जब हिंदी सिनेमा के दर्शकों ने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘मर्द’ में पहली बार यह आवाज सुनी तो लोगों को लगा कि गायक शब्बीर कुमार गा रहे हैं. मगर बाद में पता चला कि यह शब्बीर नहीं, बल्कि नया सिंगर मो. अजीज है.

मर्द’ फिल्म के इस एक गाने को अपनी आवाज देने से पहले मो. अजीज ने बतौर गायक अपने करियर की शुरुआत कर दी थी. उन्होंने बंगाली फिल्म ‘ज्योति’ से करियर शुरू किया था. आजीविका चलाने के लिए कोलकाता के एक रेस्तरां में भी कुछ दिनों तक गाना गाते थे. लेकिन हिंदी गाना गाने की धुन और संगीत की राह उन्हें मुंबई ले गई. एक प्रोड्यूसर की सिफारिश पर मुंबई पहुंचे मो. अजीज को कुछ काम मिला भी, लेकिन वह संतुष्टिजनक नहीं था. उनकी पहली हिंदी फिल्म ‘अंबर’ थी, लेकिन इसके गाने कब आए, कब गए, लोगों को पता ही नहीं चला. मो. अजीज को पहला ब्रेक मिला बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘मर्द’ से.

मुंबई में संघर्षरत गायक मो. अजीज पर बॉलीवुड के संगीतकार अनु मलिक की नजर पड़ी थी. मलिक उस समय अपनी फिल्म ‘मर्द’ के लिए गाने बना रहे थे. ऐसे में एक नए गायक को ब्रेक देना, जोखिम भरा था. वह भी अमिताभ बच्चन जैसी फिल्मी शख्सियत के लिए. लेकिन मलिक ने हिंदी सिनेमा की बेहतरी के लिए यह ‘जोखिम’ उठाया, जो बाद में शानदार साबित हुआ. ‘मर्द’ फिल्म का वह गाना, ‘मर्द तांगेवाला, मैं हूं मर्द तांगेवाला…’ आप सुनिए, पर्दे पर अमिताभ ने जिस अंदाज में एक तांगेवाले के जज्बे को दिखाया है, उससे कहीं ज्यादा जोश इस गाने को सुनकर आता है. इस एक गाने के मशहूर होने की देर थी, मो. अजीज बॉलीवुड के चहेते गायक बन गए. उनके पास एक से बढ़कर एक संगीतकारों के प्रस्ताव आए और वे दिनों-दिन सफलता की बुलंदियां चढ़ते चले गए.

मोहम्मद अजीज ने अपना पूरा जीवन संगीत को सौंप दिया था. इसलिए वे सिर्फ हिंदी फिल्मी संगीत से बंधकर ही नहीं रहे. हिंदी और बंगाली के अलावा उन्होंने दर्जनभर अन्य भारतीय भाषाओं में भी गाने गाए हैं. 80 और 90 के दशक के दौरान अजीज ने 20 हजार से ज्यादा गाने विभिन्न भाषाओं में गाए. फिल्मी गीतों के अलावा मो. अजीज ने कई भजन भी गाए हैं, जो काफी मशहूर तो हुए ही, वे भजन कर्णप्रिय भी हैं. भगवान जगन्नाथ की स्तुति में गाया उनका भजन काफी लोकप्रिय हुआ. मो. अजीज के उड़िया भाषा में गाए गाने भी काफी मशहूर हुए हैं. फिल्मी गीतों से दूर होने के बाद 21वीं सदी में जब बॉलीवुड में ढेर सारे नए गायक आ गए, तो मो. अजीज के बारे में ऐसा सुना जाने लगा कि वे संगीत की दुनिया से दूर हो गए हैं. लेकिन ऐसा नहीं था. वे फिल्मों से भले दूर थे, लेकिन संगीत का साथ बना हुआ था. मगर 2018 की 27 नवंबर की यह तारीख, इस हरफनमौला गायक को छीन ले गई. साथ ही चला गया संगीत की देवी का एक मानस पुत्र.