हम सब जानते हैं कि अगर हमारे शरीर से कोई अंग किसी दुर्घटना में ख़राब हो जाए या टूट जाए तो हम अपाहिज हो जाते है। हम कोई काम नही कर सकते। लेकिन क्या हो जब किसी का अंग उसको वापस मिल जाए। श्रीनगर में रहने वाले एक 14 वर्षीय साहिल अपनी कोचिंग क्लास से वापस लौट रहे थे जब एक विस्फोट में वह घायल हो गए। इस वजह से उनका दाहिना हाथ काटना पड़ा। उनकी पढ़ाई के साथ-साथ जिंदगी भी पटरी से उतर-सी गई थी। वह न लिख सकते थे और न ही अपना कोई काम कर पा रहे थे।
उन्हें अपने जूते के फीते बांधने के लिए भी किसी और के सहारे की जरूरत पड़ती। रोज की परेशानी से वह डिप्रेशन में चले गए। लेकिन, अब उन्हें ऐसी कोई परेशानी नहीं है, क्योंकि अब उनके पास मायोइलेक्ट्रिक हैंड हैं, जो बिल्कुल नॉर्मल हाथ की तरह है। वह अब अपना काम खुद करते हैं। वह फिर से लिखने लगे हैं और स्कूल जाने की तैयारी कर रहे हैं।
मायोइलेक्ट्रिक हैंड एक तरह से सामान्य हाथ की तरह है। साहिल को उसे फिर से उनका दाहिना हाथ मिल गया है।
साहिल ने बताया, ‘अब मैं अपनी मुट्ठियां खोल और बंद कर सकता हूं। अपने हाथ से पानी की बोतल पकड़ सकता हूं और पानी पी सकता हूं। अपने जूते के फीते बांध सकता हूं। दोस्तों के साथ खेल भी सकता हूं। मैं लिख सकता हूं और स्कूल जा सकता हूं। मैं बहुत खुश हूं।’
आपको बता दें कि मायोइलेक्ट्रिक हैंड का निर्माण अब देश में भी होने लगा है। इसकी कीमत बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हैंड से आधी से भी कम है।
देश में मायोइलेक्ट्रिक हैंड का निर्माण पी एंड ओ इंटरनैशनल द्वारा किया जा रहा है। इसके लिए दिल्ली में एक खास सेंटर भी बनाया गया है। पी एंड ओ इंटरनैशनल के निदेशक नीरज सक्सेना के अनुसार, साहिल को जो मायोइलेक्ट्रिक हैंड लगाया गया उसे देश में ही बनाया गया है। देश में पहली बार स्वदेशी मायोइलेक्ट्रिक हैंड का निर्माण किया गया है। यह हैंड मांसपेशियों के इलेक्ट्रिकल गुणों के द्वारा नियंत्रित होते हैं और इनके अंगूठे रोटेट करते हैं। इनकी कीमत बहुराष्ट्रीय कंपनियों की तुलना में आधी से भी कम है।