श्रीनगर के ऐतिहासिक जामा मस्जिद में 19 सप्ताह बाद अदा की गई जुमा की नमाज़

श्रीनगर: उन्नीस सप्ताह तक बंद और सुरक्षा बलों की घेराबंदी में रहने वाली कश्मीरी जनता की सबसे बड़ी इबादतगाह’ऐतिहासिक व केन्द्रीय जामा मस्जिद श्रीनगर’ में जुमा नमाज़ पर लगाई गई प्रतिबंध हटा दी गई.

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार 622 साल पुराने ऐतिहासिक मस्जिद में आज सैकड़ों की संख्या में लोगों ने जुमा की नमाज जमाअत के साथ अदा किया। हालांकि हुर्रियत कांफ्रेंस (अ) अध्यक्ष और संयुक्त मजलिस उलेमा जम्मू-कश्मीर के अमीर मीरवाइज़ मौलवी उमर फारूक को ऐतिहासिक जामा मस्जिद जाने की अनुमति नहीं दी गई।
गौरतलब है कि घाटी में 8 जुलाई को हिज्बुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वाणी की मौत के साथ ही जहां कश्मीर में सख्त कर्फ्यू लागू अमल में लाया गया था, वहीं सुरक्षा बलों ने इस ऐतिहासिक जामा मस्जिद को कड़ी घेराबंदी में लेकर इसके दरवाज़े बंद कर दिए थे। हालांकि करीब 55 दिनों बाद कर्फ्यू हटा लिया गया, लेकिन ऐतिहासिक जामा मस्जिद का घेरा जारी रखते हुए इसमें नमाज़ की अदायगी पर प्रतिबंध जारी रखी गई थी।
गौरतलब है कि अलगाववादी नेतृत्व सैयद अली गिलानी, मीरवाइज़ मौलवी उमर फारूक और मोहम्मद यासीन मलिक ने पिछले महीने के अंत में जारी अपने साप्ताहिक विरोध कैलेंडर में घोषणा की थी कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद का घेरा तोड़ने के लिए 28 अक्टूबर को घाटी भर से जनता ऐतिहासिक जामा मस्जिद की ओर मार्च करेंगे जहां ‘जुमा की नमाज’ अदा की जाएगी। इस घोषणा से पहले मीरवाइज़ उमर फ़ारूक़ ने 25 अक्टूबर को चश्मा शाही सब जेल से रिहाई पाने के बाद एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि वह जुमा मुसलमानाने कश्मीर के साथ जामा मस्जिद श्रीनगर में जुमा की नमाज अदा करेंगे और कर्फ्यू और बंदिशों के मामले में उल्लंघन की जाएगी। बहरहाल उसकी कोशिश नाकाम रही.
उल्लेखनीय है कि श्रीनगर के पाईन शहर के ‘नोहटटा’ क्षेत्र में स्थित इस ऐतिहासिक व केन्द्रीय जामा मस्जिद में हर जुमा को हजारों की संख्या में लोग घाटी के विभिन्न इलाकों से आकर जुमा की नमाज अदा करते हैं।