श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने उदारवादी तमिल नेता एम. ए. सुमनथीरन की हत्या के लिए राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगया है कि सिरिसेना ने सरकार तमिल बहुल लिट्टे के गढ़ रहे उत्तरी इलाकों में खुफिया चौकसी को कम कर दिया है।
राजपक्षे ने सुमनथीरन हत्या मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा, “उन्होंने (सिरिसेना सरकार) सैन्य शिविरों को हटा दिया है और खुफिया चौकसी को कम कर दिया है। अब वे उस बेवकुफी भरे कार्रवाई का परिणाम देख रहे है।” उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने लिट्टे के लगभग 12 हजार सदस्यों का पुनर्वास किया था और उन्हें वापस समाज की मुख्य धारा में शामिल कराया था लेकिन सुमनथीरन इस फैसले पर चुप क्यों रहे। राजपक्षे ने कहा, “अब वे उनकी रिहाई को लेकर मुझ पर आरोप लगा रहे है। ऐसे समय में सुमनथीरन ने कभी नहीं कहा कि उन लोगों को रिहा नहीं किया जाना चाहिए था।”
गौरतलब है कि तमिल नेशनल एलायंस (टीएनए) के सांसद एम. ए. सुमनथीरन की हत्या पिछले दिनों कर दी गई थी। इसे मामले में पुलिस ने कथित तौर पर साजिश रचने के आरोप में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) के चार पूर्व कैडरों को गिरफ्तार किया था। सुमनथीरन तमिल अल्पसंख्यकों के साथ सुलह करने के लिए सिरिसेना सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे थे।