श्रीलंका को अक़वाम-ए-मुत्तहिदा की इंसानी हुक़ूक़ कौंसिल की तरफ़ से एक बार फिर सख़्त मुज़म्मत का सामना है और मुबस्सिरीन के ख़्याल में इस मुल्क को मुम्किना तौर पर जंगी जराइम की बैनुल-अक़वामी तफतीशी कार्रवाई का सामना करना होगा।
ये अमर तक़रीबन यक़ीनी है कि पाँच साल क़बल श्रीलंका में तामिल नसल से ताल्लुक़ रखने वाले हज़ारों शहरियों की हलाकत के लिए अमेरिकी क़ियादत में पेश की जाने वाली क़रारदाद यू एन एचसी आर में मंज़ूर कर ली जाएगी।
इस बारे में श्रीलंका के सदर महिंदा राजा पकसे ने छोटी क़ौमों से हिमायत हासिल करने के लिए जारिहाना सिफ़ारती मुहिम चला रखी है। राजा पकसे ने मुल्क में 37 साल तक जारी रहने वाली नसली ख़ूँरेज़ी के बाद मई 2009 में तामिल अलाहिदगी पसंदों को पसपा कर दिया था और तब से वो इक़तिदार पर अपनी गिरफ्त मज़बूत से मज़बूत तर करने के लिए तमाम तर इक़दामात करते रहे हैं।
पकसे ख़ुद को ग़ैर मुन्साफ़ाना तरीक़े से मग़रिबी अक़्वाम की तरफ़ से निशाने का शिकार महसूस कर रहे हैं।