श्रीलंका में बढ़ा संकट: मंत्री अर्जुन रणतुंगा को किडनैप की कोशिश, फायरिंग में तीन घायल

श्रीलंका में सियासी संकट गहराता जा रहा है. रविवार को राजधानी कोलंबो में फायरिंग हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रपति सिरीसेना के समर्थकों ने पेट्रोलियम मंत्री अर्जुन रणतुंगा को अगवा करने की कोशिश की है. रिपोर्ट के मुताबिक, बचाव में रणतुंगा के सुरक्षाकर्मियों ने गोलियां चलाईं हैं. इसमें तीन लोग घायल हुए हं.

श्रीलंका की संसद के स्पीकर कारु जयसुर्या ने रानिल विक्रमसिंघ को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर तो मान्यता दे दी है, लेकिन अभी भी वहां सियासी संकट गहराया ही हुआ है. बता दें कि यूएनपी नेता विक्रमसिंघ को राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था. इसके बाद वहां की मीडिया ने इसे ‘संवैधानिक तख्तापलट’ बताया है.

देश में बढ़ा तनाव
सिरिसेना और विक्रमसिंघे के बीच कई नीतिगत मामलों पर बढ़ते तनाव के बीच अचानक से यह राजनीतिक घटनाक्रम हुआ है. राष्ट्रपति सिरिसेना प्रधानमंत्री, उनकी नीतियों खासतौर पर आर्थिक और सुरक्षा नीतियों के प्रति आलोचक रहे हैं. प्रधानमंत्री के पद से बर्खास्त करने पर प्रतिक्रिया देते हुए विक्रमसिंघे ने कहा कि उनके स्थान पर राजपक्षे का शपथ ग्रहण ‘अवैध और असंवैधानिक’ है और वह संसद में अपना बहुमत साबित करेंगे. अंग्रेजी साप्ताहिकी ‘संडे मॉर्निंग’ ने विचार स्तंभ में कहा कि परिस्थितियां बताती हैं कि सरकार में बदलाव लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हुआ है लेकिन संवैधानिक तख्तापलट से संबंधित घटना से संवैधानिक संकट का अंदेशा है.

संवैधानिक तख्तापलट का दावा नहीं
इसने कहा कि यह संवैधानिक तख्तापलट है क्योंकि मौजूदा प्रधानमंत्री को नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने से पहले कानूनी तरीके से नहीं हटाया गया है. संडे टाइम्स ने लिखा है कि सिरिसेना और राजपक्षे के बीच हुए सौदे को राज़ बनाकर रखा गया. राजपक्षे द्वारा शपथ ग्रहण करने तक सिरिसेना के वफादारों तक को इस बारे में जानकारी नहीं थी. अखबार ने अपने संपादकीय में कहा कि राज़ बाहर आ गया है और संसद को 16 नवंबर तक के लिए निलंबित कर दिया गया है. इसका मतलब साफ है कि नए प्रधानमंत्री को सांसदों के साथ बातचीत करके जोड़तोड़ का वक्त दिया गया है.