श्री राम से मोहम्मद सिराजुर्रहमान बने दाई के हाथों 2000 अफ़राद का क़ुबूल ए इस्लाम

श्री राम ने कभी ये सोचा तक नहीं था कि वो एक दिन दामन इस्लाम में पनाह लेकर दावत-ए-दीन के मुक़द्दस काम में मसरूफ़ हूजाएंगे लेकिन अल्लाह तआला अपने किसी बंदा पर रहम करते हैं इस पर मेहरबान होते हैं तो उसे ईमान की दौलत से नवाज़ते हैं। अल्लाह तआला ने जिन लोगों को इस नेअमत उज़्मा से नवाज़ा है इन में 27 साला श्री राम भी शामिल हैं जिन्हें आज दुनिया बिरादर मुहम्मद सिराजुर्ररहमन के नाम से जानती है उस नौजवान पर अल्लाह तआला ने किस क़दर रहम-ओ-करम फ़रमाया और अपने इनामात की बारिश करदी इस का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि इस्लाम क़बूल करने के बाद से ताहाल उन के हाथ पर ज़ाइद अज़ 2000 गैर मुस्लिमों ने इस्लाम क़बूल किया।

एक मुलाक़ात में बिरादर मुहम्मद सिराजुर्ररहमन ने जो यूनीवर्सल इस्लामिक रिसर्च सेंटर के जनरल सेक्रेटरी भी हैं बताया कि इन का ताल्लुक़ ज़िला नलगुनडा के इलाक़ा भूनगीर से है और वो एक कट्टर हिंदू घराने से ताल्लुक़ रखते थे ताहम मुक़ामी मस्जिद के एक इमाम साहिब ने जिन्हें वो राशिद भाई कहते हैं अपने चंद अलफ़ाज़ से उन की ज़िंदगी ही बदल डाली वो अलफ़ाज़ अल्लाह तआला की वहदानियत से मुताल्लिक़ थे तब ही से उन्हों ने क़ुरआन मजीद का मुतआला शुरू करदिया । इस के बरअक्स उन के घर में कट्टर हिंदू रिवाज पाया जाताथा । भाई अप्पा गुरु स्वामी की हैसियत से बिरादरी में इज़्ज़त की निगाह से देखे जाते।

घर में हमेशा किसी ना किसी नाम पर पूजापाट होती लेकिन मुहम्मद सिराज उर्रहमान ने तकरीबन एक साल तक क़ुरआन मजीद इस्लामी तालीमात-ओ-सीरत उन्नबी(सल.) के मुतआला के बाद इस्लाम

क़बूल किया तो सारे घर में भूंचाल से आगया । माँ बाप भाई और ख़ानदान के दीगर अरकान ने बार बार यही कहा कि तुम ने आख़िर अपने बाप दादा के मज़हब को ख़ैर बाद कहते हुए दीन इस्लाम को अपने दिल से लगाने की हिम्मत कैसे की । इस एतराज़ पर मुहम्मद सिराज उर्रहमान का एक ही जवाब हुआ करता था कि उन्हों ने बड़ी तहक़ीक़के बाद ही इस्लाम क़बूल किया है।

ये एसा मज़हब है जिस में एक ख़ुदा की इबादत की जाती है । शख्सियत परस्ती की कोई गुंजाइश नहीं। बिरादर मुहम्मद सिराज उर्रहमान ने हनदुवों की मुक़द्दस किताबों भगवत गीता वेद उपनिषद् रामायन और दीगर मज़हबी किताबों का तहक़ीक़ी अंदाज़ में मुतआला किया साथ ही संस्कित पर उबूर हासिल करने के बाद अपने अरकान ख़ानदान को बताया कि हर मज़हबी किताब में आक़ाए नामदार ख़ातिमुल नबिइन हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा स का इस्म मुबारक आया है । उन के दलाइल पर क़ाइल होते हुए वालिद ने इस्लाम क़बूल क्या।

माँ ने भी कलिमा पढ़ लिया है । जब कि भाई अपनी ज़िद पर अड़ा हुआ है । यु आई आर सी की सारी टीम की कोशिशों को अल्लाह तआला ने कामयाबी अता फ़रमाई और 5000 से ज़ाइद गैर मुस्लिमों ने इस्लाम क़बूल किया जब कि अंबर पेट में वाक़ै यू आई आर सी के दफ़्तर में हर रोज़ दीन इस्लाम के मानने के ख़ाहां अफ़राद का तांता बंधा हुआ होता है । जिस में आई ए एस , आई पी एस ओहदेदारों से लेकर पेशा वाराना माहिरीन , दानिश्वरों और तालीमयाफ्ता अफ़राद की कसीर तादाद शामिल है।

आई आर सी के पी आर ओ जनाब अबदालमाजद इमरान के मुताबिक़ म्यू आई आर सी 5000 दायान की तय्यारी का मंसूबा रखती है ताकि हमारे गैर मुस्लिम भाईयों तक इस्लाम का पैग़ाम भेज सके । उन के मुताबिक़ यु आई आर सी के दाई को सऊदी अरब , दुबई , कुवैत , बहरैन और दीगर ममालिक भी मदऊ किया जाता है ।