शख़्सी आज़ादी की दर्जा बिन्दी में हिंदूस्तान का 73 वां मुक़ाम

नई दिल्ली २९ दिसम्बर: (एजेसीज़) जमहूरी ममालिक में अवामी आज़ादी को काफ़ी एहमीयत दी जाती है जिस में मज़हबी और तालीमी आज़ादी को ख़ास एहमीयत का हामिल तसव्वुर किया जाता है।

दरीं असना लेगा टिम की जानिब से किए गए रवां बरस एक मुताला में दुनिया भर के मुख़्तलिफ़ जमहूरी ममालिक में अवाम को दी जाने वाली शख़्सी आज़ादी के जो आदाद-ओ-शुमार तैयार किए गए उन की बुनियादों पर ममालिक की दर्जा बंदी की गई है।

नीज़ इस सर्वे में अवाम के लिए शख़्सी आज़ादी के ज़ुमरे को ख़ास एहमीयत दी गई। इस ज़ुमरे के तहत 2 अहम नकात शख़्सी आज़ादी और समाजी बर्दाश्त को बुनियाद बना कर सर्वे में मुख़्तलिफ़ ममालिक को निशानात दिए गए हैं।

लेगा टिम पर्सनल फ़्रीडम के तहत ममालिक की जो दर्जा बंदी की गई है इस में हिंदूस्तान को 73 वां मुक़ाम दिया गया है जबकि इस के पड़ोसी मलिक पाकिस्तान को इस फ़हरिस्त में 104 वां मुक़ाम हासिल हुआ है।

शख़्सी आज़ादी की दर्जा बिन्दी में पहला मुक़ाम कैनेडा को हासिल हुआ है जबकि इस दर्जा बिन्दी में न्यूज़ीलैंड को दूसरा, नार्वे को तीसरा और आस्ट्रेलिया को चौथा मुक़ाम हासिल हुआ है। सारी दुनिया में जमहूरीयत के क़ियाम के लिए ख़ुद को सरगर्म और कोशां ज़ाहिर करने वाला मुलक अमरीका इस दर्जा बिन्दी में 12 वें मुक़ाम पर है जबकि अमरीका के नज़रियात से ख़ुद को मुत्तफ़िक़ क़रार देने वाला दूसरा मुल़्क बर्तानिया है ताहम उसे इस दर्जा बिन्दी में 13 वां मुक़ाम हासिल हुआ है।

बर्र-ए-आज़म यूरोप के दीगर अहम ममालिक में जर्मनी भी शामिल है जहां अवामी आज़ादी को जो एहमीयत दी जाती है इस के तहत इस सर्वे में जर्मनी का 15 वां मुक़ाम है।

स्विटज़रलैंड 17 वीं और हांगकांग 21 वीं मुक़ाम पर फ़ाइज़ है। इलावा अज़ीं तफ़सीलात में 30 ममालिक की दर्जा बिन्दी ही जारी की गई है।