एक अफ़्ग़ानी ख़ातून जिसे तौहीन रिसालत का मुर्तक़िब पाया गया था और जिसे हुजूम ने ज़दोकोब कर के हलाक कर दिया था और बादअज़ां उस की नाश को नज़रे आतिश कर दिया था, की तदफ़ीन में सैंकड़ों अफ़राद ने शिरकत की।
वस्ती काबुल में 27 साला फ़र्ख़ंदा जिसे एक हुजूम ने संगसार कर दिया था बादअज़ां ख़्वातीन के बड़े मजमा ने महलूक ख़ातून को क़ब्रिस्तान पहुंचाया। उस वक़्त मर्दों की भी अच्छी ख़ासी तादाद मौजूद थी। ऐसे मर्दों के इजारादारी वाले समाज में ख़्वातीन के अनोखे एहतेजाज से ताबीर किया जा रहा है।
ख़्वातीन का हुजूम उस वक़्त अल्लाहु अकबर के नारे लगा रहा था और हुकूमत से मुतालिबा कर रहा था कि ख़ातून के क़ातिलों को सज़ा दी जाए। दरीं अस्ना इंसानी हुक़ूक़ की एक अलमबरदार बारी सलाम ने कहा कि ये एक ऐसा जुर्म है जो इंसानियत सोज़ है।
ख़ुद उस के ख़ानदान के ख़िलाफ़ है जिसे मार मार कर हलाक कर दिया गया। दूसरी तरफ़ सदर अफ़्ग़ानिस्तान अशर्फ़ ग़नी ने भी इस शर्मनाक वाक़िया पर अफ़सोस का इज़हार करते हुए उस की तहक़ीक़ात का हुक्म दिया।