संगीन फ़िर्कावाराना सूरत-ए-हाल। मुस्लिम रहनुमा महफ़ूज़ पनाह गाहों से बाहर आएं: बुख़ारी

नई दिल्ली, 12 अक्तूबर (यू एन आई) शाही इमाम मौलाना सय्यद अहमद बुख़ारी ने मुल्क में बदतरीन फ़िर्कावाराना सूरत-ए-हाल पर शदीद तशवीश ज़ाहिर करते हुए कहा है कि गुज़श्ता डेढ़ माह के दौरान मुल्क के तक़रीबन दस मुक़ामात पर फ़िर्कावाराना फ़सादाद, तशद्दुद आमेज़ वाक़ियात और इंतिज़ामीया-ओ-पुलिस के जांबदाराना इक़दामात ने मुल्क के मुस्लमानों में अदम तहफ़्फ़ुज़ का शदीद एहसास पैदा कर दिया है।

मुल्क में शिद्दत पसंदों, फ़िर्क़ा परस्तों और पुलिस-ओ-इंतिज़ामीया की साज़िशों की वजह से पैदा शूदा संगीन सूरत-ए-हाल पर मुस्लिम मजलिस-ए-अमल की एक मीटिंग से ख़िताब करते हुए मौलाना बुख़ारी ने कहा कि राजस्थान के गोपाल गढ़ में कांग्रेस की मुतअस्सिब और फ़िक्र ओ परस्त पुलिस ने अंधा धुंद फायरिंग करके दस मुस्लमानों को मौत की नींद सुला दिया।

उन्हों ने कहा ये कोई पहला वाक़िया नहीं है जब मुस्लमानों को इस तरह बरबरीयत का निशाना बना गया। मुस्लिम मजलिस-ए-अमल के जनरल सैक्रेटरी राहत महमूद चौधरी की तरफ़ से आज यहां जारी एक रीलीज़ के मुताबिक़ उन्हों ने कहा कि आज़ाद हिंदूस्तान की तारीख़ ऐसे होलनाक और मुस्लिम मुख़ालिफ़ वाक़ियात से भरी पड़ी है।

उन्हों ने कहा कि हिन्दू फ़िर्क़ा परस्तों, फ़सादीयों, मुतअस्सिब आफ़िसरान और हुकूमतों ने (मर्कज़ी-ओ-रियास्ती) मुल्क में मुस्लमानों का जीना हराम कर दिया है और मुस्लमान उस वक़्त सख़्त आज़माईश के दौर से गुज़र रहा है।

फ़िर्कावाराना फ़सादाद की रोक थाम से मुताल्लिक़ मुजव्वज़ा बल का नाम लिए बगै़र शाही इमाम ने कहा क़ानून बनाने से फ़सादाद नहीं रुक सकते फ़सादाद रोकने और मुल्क में अमन-ओ-अमान की फ़िज़ा क़ायम करने के लिए इंतिज़ामीया का ईमानदार और ग़ैर जांबदार होना ज़रूरी है।

मौलाना बुख़ारी ने जो मुस्लिम मजलिस-ए-अमल के बानी हैं ज़ोर दे कर ये बात कही कि अवाम की जान-ओ-माल की हिफ़ाज़त हुकूमत की दस्तूरी ज़िम्मेदार य है और हुकूमत अगर ये ज़िम्मेदारी पूरी करने में नाकाम रहती है तो ऐसी हुकूमत को इक़तिदार में रहने का कोई हक़ नहीं है।

दहश्तगर्दी के वाक़ियात और इस के बाद हुकूमत, इंतिज़ामीया और पुलिस के रद्द-ए-अमल का ज़िक्र करते हुए शाही इमाम ने कहा कि वो हमेशा इस बात पर ज़ोर देते रहे हैं कि जब तक हक़ीक़ी मुजरिमों को गिरफ़्तार नहीं किया जाता दहश्तगर्दी के वाक़ियात पर क़ाबू पाया जाना मुम्किन नहीं है।

दिल्ली हाईकोर्ट पर हुए हालिया बम धमाके की मिसाल देते हुए उन्हों ने कहा कि दहश्तगर्दी के दीगर वाक़ियात की तरह इस मुआमला में भी यकरुख़ी तफ़तीश का सिलसिला जारी है हालाँकि मुतअद्दिद हिन्दू दहश्तगर्द तंज़ीमों की दहश्त गिरदाना सरगर्मीयों से पर्दा उठ चुका है इस के बावजूद दिल्ली बम धमाका केस में तफ़तीश का रुख सिर्फ मुस्लमानों की तरफ़ है।