मोदी हुकूमत की हलफ बरदारी के 24 घंटे के अंदर ही पीएमओ के रियासती वज़ीर जितेंद्र सिंह का जम्मू कश्मीर में लागू आईंन की दफा 370 पर मुल्क में बहस कराने का बयान एकाएक या इत्तेफाक़ के तौर पर दिया गया बयान नहीं है।
यह उस वक्त दिया गया है जो भाजपा की कौमी तंज़ीम राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने अपना नज़रियाती एजेंडा लागू करने के लिए मोदी सरकार को दिया है।
जम्मू कश्मीर से जीतकर आए भाजपा एमपी जितेंद्र सिंह को पीएमओ में बतौर रियासती वज़ीर इसीलिए तैनात किया गया है कि संघ के एजेंडे में सबसे ऊपर दफा 370 के मुद्दे पर हुकूमत का कोई ठोस फैसला करवाना है।
उसके बाद अयोध्या में राम मंदिर की तामीर और फिर यक्सा सिविल कोड का मुद्दा एजेंडे पर है। संघ के एक लीडर के मुताबिक पहले भारत माता के मुकुट ( ताज ) को संवारा जाए।
इसके बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर की तामीर हो और फिर पूरे मुल्क में एक आईन लागू करने की सिम्त में बढऩा चाहिए।
यह इत्तेला देने वाले संघ के मोतबिर ज़राये का कहना है कि संघ दफा/ आर्टिकल 370 को लेकर पूरा मंसूबा तैयार कर चुका है और इसे अमल में लाने के लिए संघ के लीडरों ने कुछ मुस्लिम तंज़ीमो को आगे करने की पालिसी बनाई है।
इसके लिए मुस्लिम तंजीमों के राबिता ज़राये से बातचीत भी शुरु हो गई है। संघ की पालिसी है कि मुसलमानों की पहल पर उनके कुछ गैरसरकारी तंज़ीमो जिनमें मुस्लिम दानिश्वर शामिल हों, जम्मू कश्मीर के लोगों से बातचीत का अमल शुरु करें।
इसके लिए वह रियासत के मुख्तलिफ मुकामो और शहरों में सेमिनार मुनाकिद करके यह करें कि दफा 370 से रियासत को कितना फायदा या कितना नुकसान हुआ है। संघ का नजरिया है कि दफा 370 को लेकर जम्मू और लद्दाख के इलाको के लोगों में कोई इंतेहापसंदी (कट्टरता) नहीं है।
मसला सिर्फ कश्मीर वादी में है। जबकि जम्मू और लद्दाख के लोग इस दफा के हक में नहीं हैं। इसलिए वादी के लोगों के बीच मुस्लिम तंज़ीमो के जरिए यह बहस चलाई जानी चाहिए कि इस दफा की वजह से जम्मू कश्मीर बुरी तरह पिछड़ गया है।
संघ के कुछ आली लीडरों ने कुछ ऐसे मुसलमानों से बातचीत शुरु कर दी है जो बराह रास्त संघ या भाजपा से जुड़े नहीं हैं।
संघ के लीडर उन्हें दफा 370 की वजह से कश्मीर को हुए नुकसान और इस दफा के हटने के बाद होने वाले फायदों का ब्यौरा देकर उनसे वादी में जाकर लोगों से बातचीत करने की गुजारिश कर रहे हैं।
हाल ही में दिल्ली में डेरा डाले संघ के कुछ आली लीडरों ने उनसे मिलने आए कुछ मुस्लिमों से कहा कि वह दफा 370 को लेकर आवामी राय बनाने में मदद करें।
यह दफा हटने के बाद जम्मू कश्मीर में Industry, tourism, business, hotel, residential and Other infrastructure industries में जब मुल्क के दूसरे हिस्सों से इंवेस्टमेंट होगा तो जम्मू कश्मीर में भारी तादाद में रोजगार फैलेगा , फी शख्स आमद बढ़ेगी और रियासत तरक्की याफ्ता होकर पूरी दुनिया में चमकेगा |
जबकि दफा 370 को वादी में सरगर्म कुछ अलगावादी गुटों और कट्टरपंथी जमातों ने अपनी सियासत का मोहरा बनाकर रियासत को पिछले साठ सालों में खासा पीछे धकेल दिया है।
बताया जाता है कि पीएमओ के रियासती वज़ीर के बयान के जरिए दफा 370 का मुद्दा अब कौमी बहस में आ गया है।
इस पर मुल्क में अपोजिशन पार्टी की बहस शुरु हो जाएगी। इसी कड़ी में संघ अपने भरोसेमंद मुस्लिम दानिश्वरों के जरिए जम्मू कश्मीर में भी इस बहस को तेज करेगा और रियासत से ही दफा 370 को हटाने या इसमें तरमीम करने की मांग उठेगी। इसके बाद मरकज़ी हुकूमत इस पर कोई ठोस पहल करेगी।