संजय जोशी के साथ मोदी के मुसलसल तनाज़आत ( झगड़ा) की वजह से बी जे पी की क़ौमी आमिला (National Executive) ने उन्हें पार्टी से तर्क-ए-ताल्लुक़ करने पर मजबूर कर दिया।
चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी ने आज पार्टी के आला सतही क़ाइदीन पर हावी होते हुए उन्हें मजबूर कर दिया कि वो संजय जोशी को पार्टी से ख़ारिज कर दें। बी जे पी के तर्जुमान प्रकाश ने प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि संजय जोशी ने सदर बी जे पी नितिन गडकरी से दरख़ास्त की है कि उन्हें पार्टी से सबकदोश ( बर्खास्त) कर दिया जाए और उन की दरख़ास्त सदर पार्टी ने कुबूल कर ली है।
इस सवाल पर कि इस अचानक फ़ैसला की क्या वजह है। बी जे पी के तर्जुमान ने जवाब देने से गुरेज़ किया और अपने साबिक़ा (पछ्ले )ब्यान का इआदा (दोहराना)) किया। ये बात इतनी वाज़िह है कि आप को आसानी से समझ लेना चाहीए। ताहम संजय जोशी से क़ुरबत ( नज़दीकी) रखने वाले ज़राए का इसरार (जिद) है कि उनसे सिर्फ पार्टी के तमाम काम तर्क कर देने के लिए कहा गया है।
उन्होंने बी जे पी की इबतिदाई रुकनीयत से इस्तीफ़ा नहीं दिया है। बावसूक़ ज़राए के मुताबिक मोदी जोशी के क़ौमी आमिला से इस्तीफ़ा के बावजूद मुतमईन नहीं थे और मुसलसल बी जे पी और आर एस एस के तर्जुमानों ( Spokers person/ प्रवक़्ता)) के लिए मसाइल ( समस्या) पैदा कर रहे थे।
इसके इलावा इन के लिए इश्तेआल अंगेज़ पोस्टर्स भी नसब की जा रही हैं, जिन में चीफ़ मिनिस्टर गुजरात पर सख़्त तन्क़ीद की गई है। नरेंद्र मोदी ने गडकरी और पार्टी के दीगर (अन्य/ दूसरे) आला सतही क़ाइदीन ( लीडर) पर दबाव डाला कि वो महसूस कर लें कि संजय जोशी बी जे पी के लिए आइन्दा यू पी मजालिस मुक़ामी इंतिख़ाबात के लिए सरगर्म काम कर रहे हैं।
नरेंद्र मोदी इस बात पर भी ब्रहम थे कि अहमदाबाद और बी जे पी के हेडक्वार्टर्स पर उन के ख़िलाफ़ होर्डिंग्स नसब की गई हैं। जोशी इमकान है कि अब सिर्फ आर एस एस के काम तक महिदूद (सीमित) रहेंगे और उन्हें बी जे पी की कार्यवाईयों से दूर रखा जाएगा।
ये दूसरा वाक़िया है जबकि गडकरी ने जोशी के ख़िलाफ़ मोदी का मुतालिबा तस्लीम कर लिया है। नरेंद्र मोदी क़ब्लअज़ीं मुंबई में बी जे पी की चोटी कांफ्रेंस में उसी वक़्त शरीक होने पर आमादा हुए थे जबकि संजय जोशी क़ौमी आमिला ( राष्ट्रीय कार्यकारिणी) से मुस्ताफ़ी ( इस्तीफा देने वाला) हो गए थे।