अदाकार संजय दत्त को पेरोल पर रिहा करने अदालत के अहकाम पर बहुत बड़ा तनाज़ा पैदा होगया है। पेरोल की मंज़ूरी पर संजय दत्त को एक माह के मुख़्तसर वक़फे में ही दूसरी मर्तबा जेल से बाहर निकलने की इजाज़त होगी। इस बेजा रियायत का सवाल उठाते हुए पुणे के जेल के बाहर एहतेजाजी मुज़ाहिरे हुए हैं।जिस के बाद हुकूमत को मजबूरन तहक़ीक़ात का हुक्म देना पड़ा।
पुणे डीवीझ़नल कमिशनर प्रभाकर देशमुख ने अदाकार संजय दत्त को पेरोल पर रिहाई की मंज़ूरी दी थी जहां वो गै़रक़ानूनी असलाह रखने के इल्ज़ाम में पाँच साल की सज़ा काट रहे हैं। 1993 में धमाकों के दौरान इन हथियारों को इस्तेमाल करने और उनके हुसूल पर जुर्म साबित हुआ था।
53 साला संजय दत्त को हाल ही में एक माह के लिए पेरोल पर रिहा किया गया था। तिब्बी बुनियादों पर उन्हें रिहा किया गया था और वो 30 अक्टूबर को जेल वापिस हुए थे। संजय दत्त ने इस मर्तबा अपनी पेरोल पर रिहाई के लिए अहलिया मान्यता की अलालत का हवाला दिया है अख़बारात ने मान्यता की तसावीर शाय की हैं जिस में उन्हें एक फ़िल्म की स्क्रीनिंग तक़रीब में शिरकत करते हुए बताया गया।
इस के इलावा एक फ़िल्मी शख़्सियत की सालगिरा पार्टी में भी उन्होंने शिरकत की। इस के बाद मान्यता की अलालत से मुताल्लिक़ संजय दत्त के इद्दिआ पर कई सवाल खड़े होगए हैं। इस तनाज़ा का नोट लेते हुए महाराष्ट्र के वज़ीर-ए-दाख़िला आर आर पाटेल ने बोली वुड अदाकार को किन बुनियादों पर पेरोल मंज़ूर की गई, उसकी तहक़ीक़ात का हुक्म दिया है।
संजय दत्त के हक़ में बेजा रियायत क्यों की गई का सवाल उठाते हुए तंज़ीमों ने एहतिजाज किया है। रिपब्लिकन पार्टी आफ़ इंडिया के कारकुनों ने जेल के बाहर स्याह परचमों के साथ मुज़ाहरा किया और जेल हुक्काम के ख़िलाफ़ नारे लगाए।