कराची 26 अप्रैल : पाकिस्तानी क्रिकेट टीम के साबिक़ कप्तान वसीम अकरम की निगरानी में चल रहे ट्रेनिंग कैंप में आज टीम के साबिक़ ओपनर और इस्लाम की तब्लीग़ में सरगर्म हो चुके सईद अनवर ने खिलाड़ियों से ख़ुसूसी और मज़हबी ख़िताब किया।
ट्रेनिंग कैंप में हैरान कुन इस इजलास में सईद अनवर ने नेशनल स्टेडियम पहुँच कर खिलाड़ियों को मज़हबी नुक़्ता-ए-नज़र से फायदेमंद मश्वरे दिए। सईद अनवर के साथ साबिक़ पाप स्टार जुनैद जमशेद भी मौजूद थे। इसके बाद मीडया नुमाइंदों से इज़हार ख़्याल करते हुए सईद अनवर ने कहा कि इस इजलास का मक़सद खिलाड़ियों को इस हक़ीक़त से वाक़िफ़ करवाना था
बहैसियत मुस्लमान हमें इस्लामी तालीमात पर अमल करना है। सईद अनवर के मुताबिक उन्होंने इस इजलास में खिलाड़ियों को बताया कि किस तरह इस्लामी तालीमात पर अमल करते हुए ना सिर्फ़ एक बेहतरीन इंसान बना जा सकता है बल्कि एक बेहतरीन खिलाड़ी भी बन सकते हैं।
इस्लामी लिबास में मलबूस सईद अनवर ने अपने आधे घंटे के बयान में ट्रेनिंग में मौजूद 23 खिलाड़ियों को मुख़ातब किया और इस मौके पर पाकिस्तानी टीम के कोच डेव वाटमोर और वसीम अकरम थोड़े से फ़ासले पर खड़े रहते हुए सईद अनवर की बातों को ग़ौर से सुना।
सईद अनवर जिन्होंने 2003 वर्ल्ड कप के बाद बेन अल-अक़वामी क्रिकेट को ख़ैरबाद कहा और इस मुक़ाबले में उन्होंने सेंचुरी भी स्कोर की थी। इसके अलावा हिन्दुस्तान के दौरे पर उन्होंने 194 रंस की रेकॉर्ड साज़ इनिंगस भी खेली थी। इंज़िमाम उल-हक़ की क़ियादत में और ख़ुसूसन 2003-2007 के दौरान मज़हबी पाकिस्तानी टीम के खिलाड़ियों के लिए एक अहम चीज बन चुकी थीं और इस दौरान खिलाड़ी बाजमाअत नमाज़ भी अदा करते देखे गए।
इस के अलावा साबिक़ बैट्समेन मुहम्मद यूसुफ़ जोकि पहले यूसुफ़ यूहना (ईसाई ) के नाम से जाने जाते थे। उन्होंने भी ना सिर्फ़ इस्लाम क़बूल किया बल्कि सूरत शक्ल भी इस्लामी तर्ज़ की इख़तियार की है। अनवर ने यहां अपने बयान में ना सिर्फ़ खिलाड़ियों को इस्लामी तालीमात और इस पर अमल करने के फायदे से वाक़िफ़ करवाया बल्कि खिलाड़ियों को मश्वरा दिया कि वो वसीम अकरम जैसे लीजैंडरी बोलर की ख़िदमात से फ़ायदा उठाऐं।
सईद अनवर , वसीम अकरम की क़ियादत में पाकिस्तान की नुमाइंदगी कर चुके हैं। खबर के मुताबिक एजंसी पी टी आई से इज़हार ख़्याल करते हुए पाकिस्तान के साबिक़ बाएं हाथ के ओपनर सईद अनवर ने कहा कि आज इस ट्रेनिंग कैंप में खिलाड़ियों को जिस तरह सहूलयात दस्तयाब हैं हमारे ज़माने में इस किस्म की असरी सहूलयात और आलात दस्तयाब नहीं रहते थे जिन से ट्रेनिंग हासिल की जा सके।