सऊदी अरब – ईरान के दरमियान ताल्लुक़ात में अबतरी और न्यूक्लीयर दहशतगर्दी से मुताल्लिक़ अमरीका की पालिसी के तनाज़ुर में वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान नवाज़ शरीफ़ के मुशीर क़ौमी सलामती और उमूर ख़ारिजा सरताज अज़ीज़ ने कहा कि सऊदी अरब और ईरान के दरमियान ताल्लुक़ात को बेहतर बनाना आलिमे इस्लाम के लिए ज़रूरी है। उम्मत मुस्लिमा में इत्तिहाद वक़्त का तक़ाज़ा माना जा रहा है। पाकिस्तान की कोशिश है कि सऊदी अरब और ईरान के दरमियान ताल्लुक़ात में तवाज़ुन लाया जाये।
बीबीसी उर्दू को इंटरव्यू देते हुए सरताज अज़ीज़ ने कहा कि उस वक़्त दुनिया में जो फ़िर्कावाराना तक़सीम फैल रही है, वो इस्लामी दुनिया के लिए इंतिहाई मुज़िर है। तमाम मुस्लिम ममालिक बाहमी तौर पर मुत्तहिद हूँ तो इस्लाम दुश्मन ताक़तों को कमज़ोर किया जा सकता है। उम्मते मुस्लिमा का इत्तिहाद हमारा सब से बड़ा मक़सद है। शाम की सूरत-ए-हाल से मुताल्लिक़ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के ताल्लुक़ से ये ख़बर ग़लत है कि शाम को ईस्लामाबाद की जानिब से फ़ौज भेजी जा रही है। हम शाम को कोई असलाह फ़राहम नहीं कर रहे हैं।
सऊदी अरब को पाकिस्तान की जानिब से छोटे हथियारों और जंगी तय्यारों की फ़रोख़्त से मुताल्लिक़ सरताज अज़ीज़ ने कहा कि ये अजीब बात है कि हथियारों की सनअत तरक़्क़ी पा रही है और दुनिया भर के ममालिक की कोशिश होती है कि उनके हथियार फ़रोख़ित हों। सऊदी अरब के लिए कोई मुश्किल नहीं है कि वो दुनिया के किसी मुल्क से हथियार खरीदें।
उन्होंने दुनिया भर में असलाह मिल रहा है जहां से चाहे ख़रीद लें। सरताज अज़ीज़ ने कहा कि ये बड़ी अफ़सोस की बात है कि एक या दो ऐसे मुल्क है जो पाकिस्तान पर इल्ज़ाम आइद कर रहे हैं ताकि दुनिया की नज़रों के सामने मुश्तबा हो जाए। सऊदी अरब की जानिब से हकूमत-ए-पाकिस्तान को दीढ़ अरब डालर इमदाद पर होने वाली तन्क़ीदों को उन्होंने मुस्तरद कर दिया और कहा कि 1998 में भी न्यूक्लीयर तजुर्बात के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान की भरपूर मदद की थी।