जून 2017 को मोहम्मद बिन सलमान (एमबीएस) को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस को उनके पिता, किंग सलमान द्वारा सिंहासन के वारिस के रूप में नियुक्त किया गया था. बिन सलमान के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से अब तक सऊदी में कई बाद्लाव हुए है. बिन सलमान ने सऊदी का पूरी तरह से तख्ता पलट कर दिया है.
उनके नेतृत्व में ना सिर्फ एमबीएस ने देश में सिनेमाघरों को फिर से खोलना और ड्राइविंग प्रतिबंध खत्म करना सबसे चर्चित रहा. 33 साल की उम्र में बिन सलमान ने सऊदी को कई उपलब्धियां दी. उन्होंने अपनी शक्ति को मजबूत करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया है, साथ ही साथ एक सुधारवादी और “मॉडरेट इस्लाम” के प्रतीक के रूप में अपनी छवि को पुनर्निर्मित किया है.
एमबीएस यानी मोहम्मद बिन सलमान को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और मिस्र द्वारा कतर के सम्बन्ध तोड़ने और क़तर पर नाकाबंदी करने का मुख्य कारण बिन सलमान को माना जाता है.
कतर के साथ संबंधों को काटने का कदम मुख्य रूप से मोहम्मद बिन सलमान और संयुक्त अरब अमीरात क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जयद अल नहयान (एमबीजेड) द्वारा संचालित था, और ऐसा लगता है कि खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) को विभाजित करने के अलावा कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं हुआ है.
015 में दुनिया के सबसे छोटे रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्त होने के दो महीने बाद, बिन सलमान ने यमन में एक क्रूर सैन्य अभियान शुरू करने का फैसला किया.
तब से आज तक युद्ध ने यमन को तबाह कर दिया है और 10,000 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी है, जिसने संयुक्त राष्ट्र को दुनिया की सबसे बुरी मानवीय आपदा के रूप में वर्णित किया है.
घरेलू रूप से, बिन सलमान ने पिछले सितंबर में शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं, लेखकों, पत्रकारों और दो प्रमुख मुस्लिम विद्वानों सहित कई आलोचकों और असंतुष्टों को कैद कर दिया था. ह्यूमन राइट्स वॉच द्वारा इस कदम की निंदा की गई.