रियाद, 3 मई: (ए एफ़ पी) पाँच सऊदी शहरी सारस से मुशाबेह वाइरस की वजह से हलाक हो गए हैं। वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ ये अमवात ( मौत) गुज़श्ता चंद दिनों में तेल की दौलत से मालामाल मशरिक़ी सूबा अलहसा में हुईं। दस साल क़ब्ल निज़ाम तनफ़्फ़ुस पर हमलावर वायरस की वजह से जुनूब मशरिक़ी एशिया में बड़े पैमाने पर हलाकतें हुई थीं। ताहम सारस की इस नई किस्म का इन्किशाफ़ 2012 के वस्त ( मध्य) में हुआ था।
वज़ारत-ए-सेहत ने अपने बयान में कहा कि मुतास्सिरा अफ़राद से रब्त रखने वालों की हिफ़ाज़त के लिए तमाम एहतियाती इक़दामात किए जा रहे हैं। इन मुतास्सिरीन से नमूने हासिल करके उनकी जांच करवाई जा रही है। ताहम वज़ारत ने मुल्क में इस वायरस से कितने अफ़राद मुतास्सिर हुए हैं उसकी दरुस्त तादाद नहीं बताई। ये एक मोहलिक मर्ज़ है।
23 केसों में अब तक 16 अफ़राद फ़ौत हुए हैं इन में सऊदी अरब, जर्मनी, अरदन और बर्तानिया शामिल हैं। रियाद में सारस से मरने वाले 5 अफ़राद के बिशमोल 11 अफ़राद को इस मर्ज़ से मुतास्सिर पाया गया है।
जेनेवा में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईज़ेशन के तर्जुमान ने इस वायरस के बारे में कोई तब्सिरा नहीं किया। ये नया वायरस सारस से मुख़्तलिफ़ है। इससे तेज़ी के साथ मर्ज़ लाहक़ होता है और गुर्दे नाकारा हो जाते हैं। इस मर्ज़ की पुरासरार कैफ़ीयत का पता चलाने की कोशिश की जा रही है। सऊदी अरब के एक 73 साला शख़्स की माह मार्च में इसी वायरस की वजह से जर्मनी में मौत हुई। दूसरा शख़्स अबूधाबी से ताल्लुक़ रखता है जो 19 मार्च को फ़ौत हुआ। बंदरों पर की गई तहक़ीक़ से पता चला है कि इन में पाए जाने वाला वायरस इंसान के लिए नुक़्सानदेह है। बंदरों की वजह से ये वायरस फैल रहा है।