सऊदी अरब में हिंदुस्तानियों की मदद के लिए ख़ुसूसी मुहिम

सऊदी अरब में गै़रक़ानूनी बैरूनी वर्कर्स के लिए 7 माह की दी गई आम माफ़ी की सहूलत से इस्तिफ़ादा करने से क़ासिर हिंदुस्तानी वर्कर्स की मदद करने के लिए हिंदुस्तान ने क़ानूनी कोशिशें शुरू करदी हैं। सऊदी अरब के नए लेबर क़ानून की वजह से तक़रीबन 1.35 लाख हिंदुस्तानियों को सऊदी अरब छोड़ देना पड़ा।

आम माफ़ी की मुद्दत ख़त्म होने की तारीख़ अक्टतूबर आखिर तक 1,34,281 हिंदुस्तानी अपने वतन वापिस हो गए। हिंदुस्तानी सिफ़ारतख़ाने ने अपने बयान में कहा कि इस मुद्दत के दौरान 4,34,667 हिंदुस्तानियों ने अपनी ख़िदमात को दीगर फर्म्स को मुंतक़िल करते हुए इकामा क़ानूनी तौर पर बना लिया है। 4,81,233 हिंदुस्तानियों ने अपना काम या पेशा तबदील कर दिया और 4,70,000 हिंदुस्तानियों ने अपने लाईसेंस या जॉब परमिट्स को तबदील कर लिया है। सऊदी अरब की नई लेबर पालिसी निताका में इस्माल और मीडियम बिज़नस घरानों में 10 फ़ीसद मुलाज़िमतें सऊदी शहरियों के लिए महफ़ूज़ करने को लाज़िमी क़रार दिया गया है। सिफ़ारतख़ाना हिंद ने ज़ाइद अज़ 2.8 मिलियन हिंदुस्तानियों की बहबूद को यक़ीनी बनाने के लिए अपनी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी महसूस करते हुए काम अंजाम दिया है।

सऊदी अरब में हिंदुस्तानी नायब सिफ़ारतकार सेबी जॉर्ज ने कहा कि हिंदुस्तानियों की मदद करने केलिए हर मुम्किना कोशिश की जा रही है। सऊदी अरब में हर एक हिंदुस्तानी की मदद करने अपनी कोशिशों को जारी रखेंगे। इस दोस्त मुल्क के क़वाइद-ओ-शराइत के मुताबिक़ हम हिंदुस्तानियों की मदद करेंगे। सिफ़ारतख़ाना में दर्ज रजिस्टर्ड वालेंटरस के इजलास के बाद उन्होंने कहा कि सऊदी लेबर दफ़ातिर पर हम ने ओहदेदारों को तैयनात किया है ताकि हिंदुस्तानियों की मदद की जाये।

यहां पर हमारे 600 रजिस्टर्ड वालेंटियर्स में जो अरबी बोलने वाले ओहदेदारों के साथ मिलकर लेबर दफ़ातिर में काम कररहे हैं। पूरे सऊदी अरब में ये रजिस्टर्ड वालेंटियर्स तायनात हैं जो हिंदुस्तानी वर्कर्स की मदद कररहे हैं। इस के इलावा 24 घंटे हेल्पलाइन को भी खुला रखा गया है। विज़ारत लेबर और विज़ारत-ए-दाख़िला के ओहदेदारों ने कहा कि मक्का मुअज़्ज़मा, मदीना मुनव्वरा, रियाज़, ताइफ, हियल, हैज़ान, क़ासिम, नजरान और असीर में धावे करके गिरफ्तारियां अमल में लाई गईं। सिर्फ़ जज़ान में ही तक़रीबन 8000 गै़रक़ानूनी वर्कर्स को गिरफ़्तार किया गया और 3000 गै़रक़ानूनी वरक्रर्स को यमन से ख़ारिज कर दिया गया।

रियाज़ और दीगर अहम शहरों में धावे से आजरीन और कफ़ील हज़रात भी परेशान हैं क्योंकि जो कफ़ील बगै़र दस्तावेज़ात के किसी तारिक़े वतन को मुलाज़िमत पर रखता है तो इस पर भारी जुर्माने होंगे।