सऊदी अरब में एक महिला अधिकार कार्यकर्ता इसरा अल-घोमघम को मौत की सज़ा दी जा सकती है। सरकारी वकील ने कोर्ट से इसरा और चार अन्य कार्यकर्ताओं के लिए सज़ा-ए-मौत की मांग की है।
ह्यूमन राइट्स वॉच (एचआरडब्ल्यू) के मुताबिक इसरा पर अशांत कातिफ़ प्रांत में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होने के आरोप लगाए गए हैं। ये प्रदर्शन शिया समुदाय के ख़िलाफ़ होने वाले भेदभाव के विरोध में किए गए थे।
29 साल की इसरा अल घोमघम शिया मुसलमान हैं, जिन्हें उनके पति मूसा अल हाशीम के साथ 2015 में गिरफ्तार किया गया था। आरोप था कि इन दोनों ने शिया बहुल कातिफ प्रांत में अरब क्रांति के बाद सरकार विरोधी प्रदर्शन आयोजित किया था।
इस दौरान शिया अल्पसंख्यकों ने बराबरी की मांग करते हुए सऊदी अरब की सुन्नी बहुल सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए थे। कोर्ट में पेश दस्तावेज बताते हैं कि विरोध प्रदर्शन को दिखाने के लिए दोनों ने फेसबुक और यू-ट्यूब का सहारा लिया।
रियाद की विशेष अदालत ने आतंक-विरोधी कानून के तहत इसरा और पांच अन्य के सिर कलम करने की मांग की थी। यह पहला मौका है जब सऊदी अरब ने किसी महिला को मौत की सजा सुनाई हो। माना यह जा रहा है कि इसरा के जरिए सरकार ने अल्पसंख्यक शिया समुदाय में बढ़ रहे विरोधी आवाजों को दबाने की कोशिश की है।
सऊदी अरब में इन दिनों महिला कार्यकर्ताओं के प्रति सरकार का रुख कड़ा हो गया है। आंकड़ें बताते हैं कि सुरक्षा का हवाला देकर इस साल कम से कम 13 महिला कार्यकर्ताओं को सरकार ने गिरफ्तार किया है। इनमें से कुछ रिहा हो गईं और कुछ अब भी सलाखों के पीछे हैं। फिलहाल कार्यकर्ताओं ने अब इस फैसले के खिलाफ अपील की है, जिस पर अक्टूबर में फैसला लिया जाएगा।
अगर फैसला बरकरार रहता है तो इसे आखिरी पुष्टि के लिए किंग सलमान को भेजा जाएगा, जिन्होंने तकरीबन हर मौत की सजा पर अपनी हामी की मुहर लगाई है।
एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, पिछले साल 146 लोगों को यह सजा दी गई। रियाद की अदालत के फैसले से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में रोष है और उनका कहना है कि सऊदी सरकार शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वाले एक्टिविस्टों को आतंकवादियों जैसा मान रही है। समर बादावी की गिरफ्तारी के बाद तनावपूर्ण चल रहे संबंधों के बीच कनाडा ने भी घोमघम की सजा पर चिंता जताई है।
जर्मनी स्थित यूरोपीयन सऊदी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ने फैसले का विरोध करते हुए घोमघम की तुरंत रिगाई की मांग की है। संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि घोमघम को बीते साल से कैद में रखा गया है और इस दौरान उन्हें वकील तक नहीं दिया गया।
पिछले दिनों संगठन के निदेशक अली अदुबिसी ने ट्वीट किया, ”फिलहाल इसरा सुरक्षित है।” उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि जेल की खराब हालत की वजह से इसरा का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। संगठन की रिपोर्ट मुताबिक, “कुछ सऊदी वकीलों ने इसरा का केस लड़ने की इच्छा जाहिर की है।”