सऊदी कोर्ट में महिला पुरुष है बराबर, नहीं किया जाता कोई भेदभाव

सऊदी अरब में बरसों से कोर्ट में आने से महिला वकीलो को वर्जित किया गया था। लेकिन 2013 में महिला वकीलों ने सऊदी अरब के कोर्ट में प्रैक्टिस करने और अपने केसों को लड़ने को लेकर एक बड़ी और अहम जीत हासिल की। अब सऊदी अरब में महिला वकीलों के पास सिर्फ महिला सम्बंधी कैसो को लड़ने के ही अधिकार नहीं है बल्कि विभिन्न तरह के केस व्यापार से लेकर मज़दूरों से सम्बंधित लड़ने तक के अधिकार महिला वकील के पास हैं।

ये लोग सिर्फ लाइसेंस प्राप्त कर के कानूनी पेशा करने से ही सन्तुष्ट नहीं है बल्कि वैध कमिटियों संस्थानों और सऊदी बार एसोसिएशन से जुड़ने की मांग भी करती हैं। अपने अधिकारों से रूबरू होने के लिए इन्साफ मंत्रालय के अंतर्गत महिला वकीलों को लॉ कार्यालय और कोर्टरूम में कानूनी कार्यों के लिए बहुत सी मुश्किलो का सामना भी करना पड़ा।महिला वकील हूदा ओमर बा-शमैल का आईसीएसआईडी और एफडीआई आधारित शोध पेपर अमेरिकन बैंकिंग ट्रेड मैगज़ीन में छापा गया था।

बयान ज़हरान जद्दा की वकील जो की जनवरी 2014 में सऊदी अरब की लॉ फर्म खोलने वाली पहली महिला थी। इनका कहना है की महिलाएं की उपस्तिथि कोर्ट रूम में लाइसेंस ज़ारी होने से पहले भी थी। मैं अपनी लॉ फर्म खोलने के बाद से लगातार कानूनी तौर और केस लड़ रही हूँ। महिलाओ को सऊदी कोर्ट में पिछले तीन साल से मान्यता प्राप्त है। उनके अपने अधिकार और अपने फ़र्ज़ है बिल्किल वैसे ही जैसे सऊदी कानून में पुरुषों के लिए हैं।

ज़हरान का कहना है की सऊदी अर्ब क्यूंकि एक रूढ़िवादी जगह है तो यहां और औरते अपने केस ज़्यादातर औरत वकील को ही देना पसन्द करती है क्यूंकि वो पुरुष से बात करते हुए कतराती है। ज़हरान ने बताया की उनके पास 90 प्रतिशत केस औरतों के हो आते हैं। समाज में महिला वकीलों को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ता है उनको समाज में नौकरी करने वाली महिला की हैसियत से देखा जाता है। आज भी कुछ लोग महिलाओं की उपस्थिति को कोर्ट रूम में स्वीकार नहीं कर पाये हैं।

ज़हरान का कहना है की सऊदी के कानून में ना ही कोई बंदिशे लगी है और ना ही कुछ विशेष समान औरतों को प्राप्त है।