सऊदी नताक़ा पॉलिसी, हिन्दुस्तानी वर्कर्स और हुकूमत को यकसाँ तशवीश

नई दिल्ली, 02 अप्रेल: ज़माना क़दीम से ये कहावत मशहूर है कि तारीख ख़ुद को दोहराती है। मुल्क की मौजूदा मआशी सूरते हाल और ख़लीज मुमालिक बिलखुसूस सऊदी अरब में हिन्दुस्तानियों के रोज़गार को लाहक़ ख़तरात के पेशे नज़र ये कहावत हर्फ़ बह हर्फ़ सादिक़ नज़र आती है। एक ऐसे वक़्त जब मुल्क के इक़तिसादी माहिरीन ये एतराफ़ कर चुके हैं कि मआशी हालात के एतबार से हिन्दुस्तान आज फिर इस मुक़ाम पर पहूंच गया है जहां वो 1991 में था। सालाना मजमूई क़ौमी पैदावार 9 फ़ीसद से घट कर 6 फ़ीसद से नीचे की सतह पर पहुंच गई है।

इफ़राते ज़र में होलनाक इज़ाफ़े के साथ महंगाई आसमान छूने लगी है। सनअती पैदावार में कमी हुई है। इन हालात में सितम बालाए सितम ये कि मुल्क को सब से ज़्यादा बैरूनी ज़रे मुबादला रवाना करने वाले ख़लीजी मुमालिक में बरसर रोज़गार वर्कर्स की मुलाज़िमतों को संगीन ख़तरा लाहक़ होगया है जिन की वतन वापसी की सूरत में मुल्क के इक़तिसादी हालात मज़ीद अबतर हो सकते हैं। कोय‌त को आज़ाद करने के लिए अमरीका की क़ियादत में इराक़ के ख़िलाफ़ 1990 में ख़लीजी जंग के दौरान हज़ारों हिन्दुस्तानी वर्कर्स इराक़, कोय‌त और सऊदी अरब से वापिस आगए थे।

मौजूदा हालात में तेल की दौलत से मालामाल ख़लीज अरब की इस्लामी ममलिकत सऊदी अरब में बेरोज़गार 55 लाख से ज़ाइद मुक़ामी नौजवानों को रोज़गार की फ़राहमी के लिए हुकूमत की जानिब से मालना पॉलीसी निताका के नफ़ाज़ से ना सिर्फ़ हिन्दुस्तान बल्कि, मिस्र, पाकिस्तान, बंगलादेश और दीगर कई मुमालिक के लाखों तारकीन वतन के रोज़गार को ख़तरा लाहक़ होगया है।

छः ख़लीजी मुमालिक, सऊदी अरब, मुत्तहदा अरब इमारात, कोय‌त, क़ुतर, बहरीन और सलतनत उम्मान में तकरीबन 80 लाख हिन्दुस्तानी वर्कर्स बरसरे ख़िदमत हैं जो सालाना एक अरब अमरीकी डालर से ज़ाइद बैरूनी ज़रे मुबादले की शक्ल में अपने मुल्क रवाना करते हैं। ख़लीज में मुक़ीम हिन्दुस्तानियों में केरला के अफ़राद की अक्सरियत है जिस के बाद आन्ध्रा प्रदेश को दूसरा मुक़ाम हासिल है। 2011 में मिस्र, तियोनस और लीबिया में बिहार अरब इन्क़िलाब के बाद सऊदी अरब ने अपनी अवाम के लिए कई फ़लाही इसकीमात का ऐलान किया था जिन में नताक़ा भी शामिल है।