सऊदी अरब, बहरैन और मुत्तहदा अरब इमारात ने एक अदीमुल मिसाल इक़दाम करते हुए अपने दाख़िली उमूर में मुदाख़िलत के ख़िलाफ़ बतौरे एहतेजाज दोहा से अपने सफ़ीरों को वापिस तलब कर लिया। ख़लीजी आलमे अरब के 3 ममालिक ने ये फ़ैसला अख़्बारी इत्तिलाआत के बामूजिब कल रात देर गए के 6 रुक्नी ख़लीजी तआवुन कौंसिल के वुज़राए ख़ारिजा के रियाज़ में मुनाक़िदा तूफ़ानी इजलास के बाद किया।
ख़लीजी तआवुन कौंसिल के रुक्न ममालिक ने क़तर से तमाम सतहों पर रब्त पैदा करने के लिए बड़े पैमाना पर कोशिशें की थीं ताकि एक मुत्तहदा पॉलिसी पर इत्तिफ़ाक़े राय पैदा किया जाए और इस बात को यक़ीनी बनाया जाए कि रुक्न ममालिक के दाख़िली उमूर में रास्त या बिलवास्ता कोई मुदाख़िलत ना हो सके।
3 ममालिक ने अपने मुशतर्का आलामीया में कहा कि क़तर से जो इख़्वानुल मुस्लिमीन का हामी समझा जाता है, जो बेशतर ख़लीजी ममालिक में ममनूआ तंज़ीम है, ख़ाहिश की थी कि किसी भी ऐसी पार्टी की ताईद ना करे जो ख़लीजी तआवुन कौंसिल के किसी भी रुक्न मुल्क की सियानत और इस्तिहकाम के लिए ख़तरा हो।
इन ममालिक ने ज़राए इबलाग़ में जारी इहानत अंगेज़ मुहिम का हवाला दिया था। जबकि क़तर जो इख़्वानुल मुस्लिमीन का ज़बरदस्त हामी है, उस ने मिस्र में अपने असर और रुसूख़ का ख़ात्मा होते देखा।