सजदा हुसैनी पर ख़ुदा को भी नाज़ डाक्टर सिराज अलरहमन का ख़िताब

हैदराबाद 6दिसंबर : ( रास्त ) : यज़ीदी लश्कर ने जान निसारे हुसैन की इस्तिक़ामत , शुजाअत बहादुरी , जुरात , देख कर इन्फ़िरादी जंग बंद करदी थी । इमाम हुसैन पर इजतिमाई हमला जारी था । लेकिन पूरा लश्कर भी इजतिमाई तौर पर नवासा रसूल पर हमला करने से डर रहा था । तीरों की बरसात करदी गई । हज़रत इमाम आली मक़ाम का जिस्म अतहर छलनी होगया । शिम्र और यज़ीद के बदबख़्त सिपाही चारों तरफ़ से हमला आवर हुए ।

मर्दानावार हमला करते हुए शहसवार कर्बला घोड़े से नीचे आगए । बिलआख़िर इमाम आली मक़ाम ने फ़रमाया मुझे अपने मौला के हाँ आख़िरी सजदा कर लेने दो । ख़ून आलूद हाथों से तयम्मुम फ़रमाया और बारगाह रब अलालमीन में सजदा रेज़ होगए । फ़रमाया ए ख़ालिक़ कायनात ये मेरा आख़िरी सजदा क़बूल फ़र्मा । ऐसे हालत जंग में किए जाने वाले सजदा हुसैनी को ख़ुदावंदा क़ुद्दूस को भी नाज़ है ।

निदा आई ए हुसैन की रूह जन्नत के सारे दरवाज़े खुले हैं जिस से चाहे दाख़िलहूजा । इन ख़्यालात का इज़हार डाक्टर मुहम्मद सिराज अलरहमन जामि मस्जिद सनअतनगर में इजतिमा को मुख़ातब करते हुए किया ।।