नोबेल इनाम याफता कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई ने मंगल के रोज़ नोबेल इनाम फराहम किये जाने के मौके पर हिंदुस्तान पाकिस्तान को अमन और दोस्ती का पैगाम दिया। इनाम तक्सीम् के मौके पर दोनों ने एक प्रेस कांफ्रेंस से खिताब किया।
सत्यार्थी ने अपनी तकरीर की शुरूआत “नमस्ते” के साथ की। उन्होंने अपना इनाम पूरी दुनिया के उन लाखों बच्चों को सरशार या वक़्फ किया जो या तो बंधुआ मजदूर हैं या जबरदस्ती जिस्म फरोशी के धंधे में धकेले गए हैं या तालीम से मरहूम हैं। यह इनाम उन बच्चों के लिए है जिन्हें तालीम नहीं मिल सकी। अगर एक भी बच्चा जिस्म फरोशी के धंधे में है या बंधुआ मजदूर बनता है तो पूरी दुनिया खतरे में है।
उन्होंने दोनों मुल्कों को दोस्ती का पैगाम देते हुए कहा कि वह पिछले कई सालों से पाकिस्तान जा रहे हैं और वहां के लोग बहुत प्यार से उनसे मिले। दोनों पड़ोसी मुल्को की तरक्की के लिए दोनों के बीच अच्छे ताल्लुकात होना बहुत जरूरी है। जिस वक्त मैं यहां बोल रहा हूं उस वक्त लाखों बच्चे मुसीबत में हैं। मुझे उन मासूम बच्चों के लिए एक अखलाक़ी जिम्मेदारी का अहसास होता है।
बच्चो के हुकूक के लिए लम्बे अर्से से काम कर रहे सत्यार्थी ने अपना इनाम मुल्क के बच्चों को सरशार करते हुए कहा, मैं दुनिया के उन लाखों बच्चों के लिए काम करना चाहता हूं जिन्हें न बात करने की आजादी है न मुस्कुराने की और न हंसने की।
उन्होंने मलाला को “अपनी बेटी” बताते हुए नोबल कमेटी को उनका इंतेखाब इस इनाम के लिए करने पर शुक्रिया अदा किया । मलाला ने अपनी तकरीर में कहा कि वह मानती हैं कि सभी इंसान है और उन्हें दोस्ती के साथ रहना चाहिए।
मलाला ने कहा मुल्को के बीच सरहद होती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नही है कि हम एक-दूसरे से नफरत करें। दोनों मुल्कों को तालीम और तरक्की के सेक्टर में काम करना चाहिए।
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