सदर अस्पताल को ओपरेट करने का टेंडर मंसूख

रांची में 500 बेड के सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल (सदर अस्पताल) को ओपरेट करानेवाली अदारा के लिए टेंडर को सेहत महकमा ने एक बार फिर से मंसूख कर दिया है। सेहत महकमा के एक अफसर ने इसकी तसदीक़ की है।

सरकारी तौर में टेंडर को मंसूख करने के पीछे निवेदक के कम होने की बात कही गयी है। टेंडर खोलने के वक़्त सरकारी तौर से महज़ दो तंजीम ही कामयाब पाये गये थे। इसको बुनियाद बना कर सेहत महकमा ने टेंडर मंसूख कर दी। यहां बता दें कि झारखंड में ऐसे कई मिसाल है, जिसमें पीपीपी मोड में की गयी टेंडर में दो तंजीम मुनासिब पाये गये थे, जिन्हें सरकार ने इजाजत दी।

मिसाल के तौर में सिल्ली में पॉलिटेक्निक, रामगढ में इंजीनियरिंग कॉलेज और रांची वाकेय बिरसा विहार होटल। गौरतलब है कि टेंडर मदउ कर मुनासिब अदारे के इंतिख़ाब की जिम्मेदारी इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आइएफसी) को दिया गया था। 22 जनवरी 2014 को वजीरे आला हेमंत सोरेन की सदारत में कैबिनेट में फैसला हुआ था, जिसमें एक आला कमेटी बनायी गयी थी। इस कमेटी को यह जिम्मेदारी दी गयी थी कि टेंडर का तजवीज कर मुनासिब फैसला ले। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और सेहत वज़ीर राजेंद्र प्रसाद सिंह और प्रिन्सिपल सेक्रेटरी बीके त्रिपाठी ने इसे मंसूख करने का फैसला लिया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या दीगर अदारे को इस अस्पताल को दिये जाने का खेल तो नहीं है।