सदर ईरान का ओहदा सँभाल के आठ माह बाद हसन रुहानी को पहली बड़ी सियासी शिकस्त का सामना करना पड़ा। अवाम ने ग़ालिब अक्सरीयत के साथ रास्त सरकारी इमदाद से दस्तबरदार होने की उन की अपीलें मुस्तरद करदी।
चार लाख 55 हज़ार रियाल (4 अमरीकी डॉलर 10 यूरो) माहाना अवाम को एक स्कीम के तहत अदा किए जाते हैं। जिस का आग़ाज़ दिसंबर 2010 में हसन रुहानी के पेशरू महमूद अहमदी नज़ाद ने किया था।
ये अदायगी वसीअ तर मआशी इस्लाहात का एक हिस्सा है जिन का मक़सद मुल्क के अवामी रियायती निज़ाम पर नज़रे सानी था।