अवाम की बढ़ती ग़ुर्बत, बिगड़ती मईशत, बर्क़ी और पानी की क़िल्लत से दो-चार हिंदूस्तान की रियास्तों के बाअज़ अबतर हालात के दरमयान सदर जमहूरीया प्रतिभा पाटिल ने मुल़्क की मईशत को 9 फ़ीसद के निशाना तक ले जाने अपनी हुकूमत के अज़ाइम का तज़किरा करके अवाम को ख़ुशख़बरी सुनाने की कोशिश की है कि आने वाला आम बजट अवाम के मुवाफ़िक़ होगा।
हुकूमत अपना बजट 16 मार्च को पेश करने वाली है इससे क़ब्ल पार्लीमेंट के बजट सेशन के मुशतर्का इजलास से ख़िताब करते हुए सदर जमहूरीया ने मुल़्क की मआशी, मुआशर्ती और दिफ़ाई-ओ-सलामती तस्वीर को ख़ुशनुमा बनाकर पेश किया है। तशद्दुद, दहश्तगर्दी, ला क़ानूनीयत और मनमानी के वाक़्यात को नजर अंदाज़ करके मुल़्क की रियास्तों के इख़्तेयारात को सल्ब करने वाले क़वानीन या वफ़ाक़ी ढांचा को ज़रब लगाने वाले एन सी टी सी के क़ियाम की तजवीज़ के साथ सदर जमहूरीया ने ये भी कहा है कि क़ौमी इन्सेदाद-ए-दहशत गर्दी मर्कज़ के क़ियाम जैसे अहम इक़दामात का मक़सद दाख़िली सलामती को लाहक़ ख़तरात का मुक़ाबला करना है।
इससे पहले मौजूद क़वानीन का किस हद तक दयानतदार इस्तेमाल किया गया इसका जायज़ा लिए बगै़र नए क़वानीन बनाने और इस पर अमल आवरी के मुआमले में हुकूमत और सरकारी इदारों की नीयत का नोट नहीं लिया गया तो कुछ फ़वाइद हासिल नहीं होंगे। यू पी ए हुकूमत को अपनी बदउनवानीयों, स्क़ाम्स और महंगाई ने कमज़ोर बना दिया है। हुक्मराँ पार्टी कांग्रेस को अपनी ख़राबियों की वजह से अवाम से दूर हो रही है।
सियासत और हुकूमत में इस वक़्त हुक्मराँ टोले की ला महदूद बदउनवानीयों और बद इंतिज़ामी ने मुल्क को अपनी तारीख़ के बदतरीन महंगाई और रिश्वत सतानी के बाइस कमज़ोर बना दिया है। मआशी सतह पर बोहरान ने आम आदमी को बे मौत मार दिया । पेट्रोल की क़ीमतों में मुसलसल इज़ाफ़ा, बर्क़ी और पानी की क़िल्लत, शराब माफ़िया गुंडा राज के फ़रोग़ ने ख़राबियों पर क़ाबू पाने में हुकूमत को बेबस कर दिया ।
सदर जमहूरीया ने यू पी ए हुकूमत की हज़ार ख़राबियों के बावजूद उस की अच्छाईयों और ख़ूबीयों का ही तज़किरा किया है। हुक्मराँ क़ाइदीन के ज़हनी इफ़लास की वजह से अक़ल्लीयतों को तहफ़्फुज़ात के नाम पर किए जाने वाले प्रोपगंडा ने मुस्लमानों को दीगर अब्ना-ए-वतन की निगाहों में तास्सुब पसंदी की हाशिया पर ला खड़ा किया है।
अब दलितों और दीगर तब्क़ात की नज़रों में भी मुस्लमानों को कांटे की तरह अटका कर रख दिया गया है। तहफ़्फुज़ात के दिखावे से अक़ल्लीयतों को जो नुक़्सान हो रहा है इस का अंदाज़ा किए बगै़र सिर्फ प्रोपगंडा मुहिम चलाने वाली हुकूमत को इंतेख़ाबात में शिकस्त से दो-चार होना पड़ा है।
फिर भी मुस्लमानों की इक़तिसादी समाजी पसमांदगी को जिस तरह हमारे सियासतदानों और अक़ल्लीयतों का दम भर ने वाली पार्टीयों ने अपनी ज़ाती-ओ-सयासी एतराज़ के लिए इस्तेमाल किया है ये तहज़ीब इंसानी के उरूज पर एक ज़ुल्म अज़ीम से कम नहीं। कांग्रेस ज़ेर क़ियादत यू पी ए हुकूमत अपनी बदतरीन हुक्मरानी की शक्ल में मुल्क के अवाम पर दूसरी मीयाद में भी महंगाई का बोझ बढ़ाते जा रही है।
सदर जमहूरीया ने ये एतराफ़ किया है कि मुल्क में मुख़्तलिफ़ स्क़ाम्स के सबब हुकूमत की इमेज को काफ़ी ज़क पहूँची है। पड़ोसी मुल्कों के साथ हिंदूस्तान के ताल्लुक़ात के बारे में सदर जमहूरीया ने ख़ासकर पाकिस्तान का तज़किरा किया है। बातचीत के ज़रीया पाकिस्तान के साथ दोस्ती और ताल्लुक़ात को फ़रोग़ देने के लिए शराइत रखी गई हैं। ये शराइत ( शर्त) अमन बातचीत की राह में हाइल होते हैं।
दहश्तगर्दी के ख़िलाफ़ कार्यवाईयों का जहां तक मसला है इस पर ही ज़ोर दिया जाता रहे तो बात आगे नहीं बढ़ेगी चीन के साथ इक़तिसादी मुआमले में हिंदूस्तान की तरक़्क़ी का अंदाज़ा किया जाए तो ये मालूम होगा कि हमारे मुल़्क की मआशी तरक़्क़ी की रफ़्तार किस हद तक चीन से पीछे है। ताहम चीन के साथ स्ट्रेटेजिक और इमदाद-ए-बाहमी पर मबनी शराकतदारी के फ़रोग़ को काफ़ी तर्जीह देने से दोनों मुल्कों के ताल्लुक़ात में बेहतरी आ रही है ।
ये बात दुरुस्त है कि चीन के साथ हिंदूस्तान की तिजारती और मआशी ताल्लुक़ात की तेज़ रफ़्तार तरक़्क़ी ना सिर्फ बाहमी रिश्ता के लिए अहम है बल्कि मजमूई तौर पर आलमी मईशत के लिए भी नुमायां चीज़ है। हक़ीक़त तो ये है कि इलेक्ट्रानिक्स, डीजीटल कम्यूनीकेशन और सॉफ्टवेर डेवलपमेंट के मिलाप से ही कई मुल्कों के साथ हिंदूस्तान की तिजारती दोस्ती को फ़रोग़ हासिल हुआ है।
मगर हुकूमत ने अपने हिस्सा के तौर पर इस दोस्ती में मज़बूती लाकर हिंदूस्तानियों के रोज़गार के मसाइल हल करने सरमाया कारी के बहाव को बेहतर बनाने पर ज़्यादा तवज्जा नहीं दी। कम्पयूट्राइजेशन के हवाले से आज हिंदूस्तान का मुआशरा सब से ज़्यादा तरक़्क़ी कर रहा है। इसके बावजूद मुल़्क की एक बड़ी आबादी लागर और समाजी पसमांदगी के दायरा में ही सांस ले रही है।
हुकूमत ने तरक़्क़ी के समरात उन तक पहूँचाने की सतही कोशिश की है। मर्कज़ी इस्कीमात बज़ाहिर आम आदमी के फ़ायदा के लिए होते हैं मगर ये इस्कीमात के फ़वाइद अवाम तक पहूंच नहीं पाते। बा कमाल सलाहीयत की हामिल टेक्नालोजी के बावजूद सनअतें और ज़रई पैदावार में कमी पाई जाती है। बर्क़ी और पानी की क़िल्लत ने दोनों शोबों को मुतास्सिर कर दिया है।
आज़ादी के 6 दहिय गुज़रने के बावजूद हिंदूस्तान बर्क़ी की पैदावार में इज़ाफ़ा के काबिल नहीं हो सका। कई रियास्तों में बर्क़ी की क़िल्लत ने तरक़्क़ी के इम्कानात को मफ़क़ूद कर दिया है। आंधरा प्रदेश में ही बर्क़ी और पानी की कमी के बाइस कई सनअतें यूनिटें बंद हो रही हैं और ज़रई शोबे अबतरी का शिकार हैं। सदर जमहूरीया के ख़िताब में इन मसाइल की यकसूई के लिए ठोस इक़दामात का कोई तज़किरा नहीं किया गया।