सदर नशीन हज कमेटी के ब्यान पर इएतेराज़

बीदर। 05 नवंबर, ( सियासत डिस्ट्रिक्ट न्यूज़ ) अल्हाज ऐस फ़ाज़िल समाजी कारकुन-ओ-परोप्राइटर अर्शिया वीलीटी बैंगलौर ने कहा है कि एक ऐसे वक़्त जबकि रियास्ती मुस्लमानों के मसाइल की यकसूई और रियास्ती काबीना में मुस्लिम नुमाइंदगी की ज़रूरत ही, जनाब सय्यद ग़ौस बाशाह चेयरमैन कर्नाटक हज कमेटी ने ये कह कर कि वज़ारत हज का क़लमदान वज़ीर-ए-आला ख़ुद अपने पास रखें मुस्लमानों के जज़बात को ठेस पहुंचाई ही। उन्हों ने अख़बार नवीसों के साथ बातचीत करते हुए बताया कि ऐड वीरप्पा के बाद सदानंद गौड़ा की ज़ेर क़ियादत नई हुकूमत तशकील पाई लेकिन हनूज़ किसी मुस्लमान को रियास्ती काबीना में नुमाइंदगी नहीं दी गई। उन्हों ने वाज़िह किया कि महिकमा अक़ल्लीयती बहबूद औक़ाफ़ और शोबा हज का ताल्लुक़ चूँकि मुस्लमानों से है लिहाज़ा उस की ज़िम्मेदारी कोई मुस्लमान वज़ीर ही बेहतर तरीक़ा से निभा सकता ही, मगर वज़ीर-ए-आला ने ये क़लमदान अपने ही पास रखा है चूँकि वज़ीर-ए-आला पर कई अहम ज़िम्मेदारीयां होती हैं और वो सख़्त सीकोरीटी में रहते हैं इस लिए अक़ल्लीयतों पर ज़्यादा तवज्जा नहीं दे पाते और मुताल्लिक़ा अफ़राद तक इन का पहुंचना मुश्किल रहता ही। इस ख़सूस में चेयरमैन हज कमेटी ने जो ब्यान दिया है वो अफ़सोसनाक ही। अब तक रियासत कर्नाटक की तारीख़ गवाह है कि रियासत की किसी भी हुकूमत में अक़ल्लीयतों की बहबूदी, औक़ाफ़ और हज का क़लमदान मुस्लमानों को सौंपा गया है मगर हज कमेटी के चेयरमैन ने ये कह कर हज वज़ारत वज़ीर-ए-आला ख़ुद अपने पास रखें रियासत के मुस्लमानों के जज़बात की तौहीन की ही।.