दिल्ली में सदर राज लगाए जाने के आसार मुसलसल गालिब होती जा रही है। सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी और दूसरे नंबर पर आई आम आदमी पार्टी (आप) ने हुकूमत बनाने से सीधे तौर पर इन्कार कर दिया है। आप ने तो दूसरे असेम्बली इलेक्शन की तैयारी भी शुरू कर दी है। इसका नतीजा यह होने जा रहा है कि नए चुने गए एमएलए मेम्बरशिप का हलफ नहीं ले पाएंगे। उन्हें तनख्वाह व भत्ते तक नहीं मिलेंगे। इस बीच, दिल्ली की चौथी असेम्बली को तहलील कर दिया गया है।
दिल्ली की ताजा सियासी मुनाज़िर के मद्देनजर गेंद अब नायब गवर्नर नजीब जंग के पाले में है। ज़रायेकी मानें तो नायब गवर्नर की हिदायत परपीर के रोज़ दिल्ली हुकूमत के कानून महकमा के ओहदेदारों और दिल्ली असेम्बली सेक्रेट्रेट के आफीसरो के बीच बातचीत हुई है।
इसका लब्बोलुआब यह है कि जैसे ही दिल्ली के चीफ इलेक्शन आफीसरविजय देव दिल्ली असेम्बली के लिए चुने गए एमएलए के नाम मुताआला करेंगे और मुताल्लिक फहरिस्त नायब गवर्नर को सौंपेंगे, उसके बाद राजनिवास पांचवीं असेम्बली की तश्कील की नोटीफिकेशन जारी कर देगा।
आइनी दफात के मुताबिक , पहले वज़ीर ए आला व उनके कैबिनेट को हलफ दिलाई जाती है और कैबिनेट की सिफारिश के बाद नायब गवर्नर असेम्बली की बैठक बुलाते हैं। फिर अराजी सदर की तकर्रुरी होती है और वही सदर सभी चुने गए एमएलए को हलम शपथ दिलाते हैं।
कानूनी जानकारों की मानें तो नायब गवर्नर इस बात के लिए पाबंद नहीं हैं कि वे सबसे बड़ी पार्टी को हुकमत बनाने की दावत दें। अगर उन्हें ऐसा लगता है कि कोई भी पार्टी मुश्तकिल हुकूमत बनाने की हालत में नहीं है तो वह सीधे सदर राज की सिफारिश कर सकते हैं। लेकिन अब तक रिवायत यही रही है कि सबसे बड़ी पार्टी को हुकूमत बनाने का दावत दिया जाता है।
आईनी माहिरीन सुभाष कश्यप कहते हैं कि नायब गवर्नर पहले सबसे बड़ी पार्टीइ , उसके बाद दूसरे सबसे बड़ी पार्टीइ को हुकूमत बनाने के लिए कह सकते हैं। अगर दोनों पार्टीइ हुकूमत बनाने से इन्कार कर दें, तब उनके सामने विधानसभा को फौरी तौर पर मुअत्तल हालत में रखकर सदर राज की सिफारिश करने का आप्शन खुला है।
दिल्ली असेम्बली के साबिक सेक्रेटरी सुदर्शन शर्मा कहते हैं कि दिल्ली की ताजा हालात दिलचस्प है। अब तक तो यही देखने में आया है कि सियासी पार्टी हुकूमत बनाने के लिए हर तरीके की कोशिश करती हैं। लेकिन यहां तो कोई हुकूमत बनाने को तैयार ही नहीं है। दोनों बड़ी पार्टीयां अपोजिशन में बैठने की बात कर रहे हैं।
ज़राये ने बताया कि नायब गवर्नर जंग सदर राज लागू करने की सिफारिश करने से पहले बीजेपी व आप के लीडरों से जरूर बातचीत करेंगे और उसके बाद ही आगे कदम उठाएंगे। लेकिन जिस तरह बीजेपी के सीएम ओहदे के उम्मीदवार डॉ. हर्षवर्धन व आप के कंवेनर अरविंद केजरीवाल मुसलसल अपोजिशन में बैठने की बातें कर रहे हैं, उसे देखते हुए इस बात की उम्मीद कम है कि नई हुकूमत आसानी से बन पाएगी।
सियासी मुबस्सिरीन का मानना है कि कुछ महीने बाद होने वाले लोकसभा इंतेखाबात के मद्देनजर 31 मेम्बरों वाली बीजेपी चार एमएलए की जुगाड़ के लिए कांग्रेस या आप को तोड़ने की कोशिश नहीं करेगी। वहीं आप किसी भी हालत में कांग्रेस या बीजेपी के साथ मिलकर हुकूमत बनाने को तैयार नहीं है, तो कांग्रेस भी बिना मांगे किसी को ताइद देने के लिए तैयार नहीं है।