सदर राज के नफ़ाज़ से सरकारी उमूर में मुदाख़िलत का ख़ातमा

रियासत आंध्र प्रदेश 41 साल के तवील वक़फे के बाद सदर राज के सबब अवाम में मुतअद्दिद गलतफहमियां पाई जाती हैं। अवाम में सदर राज से मुताल्लिक़ ये राय हैके सदर राज की सदारत में ला ऐंड आर्डर की सूरते हाल फ़ौज के हाथ में होती है और तमाम उमूर की निगरानी अफ़्वाज ही करती है लेकिन हक़ीक़त ये नहीं है।

41 साल पहले जिन हालात में सदर राज नाफ़िज़ किया गया था वो हालात बिलकुल्लिया तौर पर अलाहिदा थे और 1973 से पहले जय आंध्र तहरीक के पुरतशद्दुद होजाने के बाइस वो सूरत-ए-हाल पैदा हुई थी।

उस वक़्त पी वि नरसिम्हा राव‌ की हुकूमत की तरफ से नज़म-ओ-ज़बत की बरक़रारी में नाकामी के बाइस सदर राज नाफ़िज़ किया गया था।

फ़ौरी तौर पर गवर्नर आंध्र प्रदेश कुंदू भाई कासन जी देसाई ने रियासत की निगरानी सँभाल ली थी। सदर जमहूरीया हिंद की तरफ से सदर राज के आलामीया की इजराई के साथ ही उस वक़्त के गवर्नर ने सीरियन को अपना मुशीर मुक़र्रर किया था।

जिन्होंने बाद के दौर में ख़ूब शौहरत हासिल की बल्कि 11 जनवरी 1973 से 10 दिसमबर 1973 तक रहे। इस सदर राज में सीरियन की बेहतरीन इंतेज़ामी सलाहीयतों के ख़ूब चर्चे रहे और वो ओहदेदारों से रास्त राबिता में रहा करते थे।

इसी लिए आज भी 1973 के सदर राज के मुताल्लिक़ बुज़ुर्ग शहरी सीरियन को याद रखे हुए हैं। जबकि उस वक़्त गवर्नर आंध्र प्रदेश के ओहदे पर मिस्टर कुंदू भाई कासन जी देसाई बरसर-ए-कार थे। एक आला ओहदेदार ने बताया कि उस वक़्त अमन-ओ-ज़बत भी एक बड़ा मसला था।

बताया जाता है कि अब तक मुल्क भर की मुख़्तलिफ़ रियासतों में 122 मर्तबा सदर राज नाफ़िज़ किया जा चुका है जोकि दस्तूर की दफ़ा 356 के इस्तेमाल के ज़रीये किया जाता है।