लंदन ०५ दिसम्बर( पी टी आई) हिन्दी फिल्मों के सदाबहार अदाकार देवानंद का आज सुबह लंदन में इंतिक़ाल हो गया । 65 साला फ़िल्मी ज़िंदगी में उन्हों ने अपने परसितारों की एक कसीर तादाद बनाई । बादअज़ां फ़िल्म साज़ी के मैदान में उन्हों ने अपना मुनफ़रद मुक़ाम बनाया ।
गाईड और हम दोनों जैसी क्लासिक शाहकार फिल्मों की कसीर तादाद छोड़ी है । 88 साला देवानंद पंद्रह दिन क़बल आराम और तिब्बी मुआइने केलिए यहां आए थे । इतवार की सुबह हिंदूस्तानी वक़्त 3.30 बजे होटल के कमरा मैं क़लब पर शदीद हमले के बाद वो इंतिक़ाल करगए । उस वक़्त उन के फ़र्ज़ंद सुनील आनंद मौजूद थे ।जब उन्हों ने देखा कि देवानंद की सांस रुक गई है तो उन्हों ने फ़ौरी डाक्टर को तलब किया ।
मुआइने के बाद डाक्टर ने बताया कि क़लब पर हमला की वजह से उन का इंतिक़ाल हुआ है । देवानंद के मैनेजर मोहन चिड़ी वाला ने कहा कि लंदन में 10 बजे शब उन की मौत वाक़्य हुई है । उन्हों ने कहा कि आख़िरी रसूमात आइन्दा हफ़्ता लंदन में अंजाम दी जाएंगी । उन की नाश उस वक़्त दवाख़ाना में रखी गई है । देवानंद की अहलिया और दुख़तर के यहां पहुंचने का इंतिज़ार है ।
देवानंद के इंतिक़ाल पर सदर जमहूरीया प्रतिभा पाटिल , नायब सदर जमहूरीया हामिद अंसारी , वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के इलावा सोनीया गांधी , बाल ठाकरे और फ़िल्मी सनअत ने ज़बरदस्त ख़राज पेश किया है । देवानंद के मख़सूस हीरा स्टाईल और सी आई डी और जीवल थीफ जैसी फिल्मों में उन के चलने के मुनफ़रद अंदाज़ , रूमानी अंदाज़ में तेज़ रफ़्तारी के साथ मकालमे की अदायगी और सर हिला हिला कर बात करने की अदा ने उन्हें लाखों परसितारों का गरवीदा बनादिया था ।
वो शहरा आफ़ाक़ अदाकार की तरह रहे । उन्हों ने हाली वुड अदाकार गिर गिरी पयाक को अपना आईडीयल बनाया था । इस अंदाज़ की अदाकारी के ज़रीया गाईड, पै अंग गेस्ट , बाज़ी , जीवल थीफ , सी आई डी , जानी मेरा नाम , अमीर ग़रीब , वारंट , हरे राम हरे कृष्णा और देस परदेस के इलावा कई लातादाद फिल्मों को शाहकार बनाया । जब उन के हमअसर अदाकारों जैसे राज कपूर और दिलीप कुमार ने फिल्मों में हीरो के रोल करना बंद करदिया तो इस सदाबहार अदाकार ने फिल्मों में जवान हीरोज़ के रोल करना जारी रखा ।
जानी मेरा नाम और देस परदेस जैसी फिल्मों के इलावा दीगर फिल्मों में वो 1983 तक बतौर हीरो पेश हुए । उन्हें 2001 में बावक़ार पद्म भूषण और 2002 मैं दादा साहिब फाल्के ऐवार्ड से नवाज़ा गया था। इन का एक बेटा सुनील आनंद और एक बेटी देवन हैं।देवानंद को पहला फ़िल्म फेयर ऐवार्ड फ़िल्म काला पानी के लिए 1958 में मिला। इंदिरा गांधी ने जब मुल्क में एमरजैंसी लगाई तो इस के ख़िलाफ़ वो फ़िल्मी शख़्सियतों के साथ कूद पड़े थी। 1977 के पारलीमानी इंतिख़ाब में उन्हों ने इंदिरा गांधी के ख़िलाफ़ मुहिम चलाई।
उन्हों ने नैशनल पार्टी आफ़ इंडिया भी क़ायम की ।देव आनंद ने 19 फिल्मों की हिदायत कारी की और 31 फिल्मों के वो प्रोडयूसर रही। उन्हों ने अपनी 13 फिल्मों की कहानी ख़ुद लिखी।देव आनंद की फिल्में हिट नग़मों की वजह से जानी जाती हैं। अपने अह्द के गुलूकारों और मूसीक़ारों के साथ इन का गहिरा रिश्ता हुआ करता था। सितंबर 2007 में देव आनंद की ख़ुदनौशत सवानिह हयात ज़िंदगी के साथ रोमांस की रस्म इजरा वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने उन की सालगिरा पार्टी में अंजाम दी थी।