सद्दाम हुसैन की गिरफ़्तारी के 10 साल बाद भी उन का विर्सा ईराक़ पर ग़ल्बा रखता है। मुल्क में अभी भी झड़पें, तहदीदात और जाबिराना क़्वानीन जारी हैं और मुल्क में कसीर तादाद में हलाकतें वाक़े हो रही हैं।
तेल की दौलत से मालामाल ईराक़ आलमी मईशत और इलाक़ाई सिफ़ारतकारी के लिए दिन बादिन ज़्यादा अहम होता जा रहा है। लेकिन सद्दाम हुसैन का विर्सा सुस्त रफ़्तारी के साथ आज भी पूरे मुल्क पर ग़ालिब है।
दफ़तरीत का हस्ब मुरातिब निज़ाम और फ़ैसला साज़ी के बद उनवान तरीकेकार मुल्क की तामीरे नव में अभी भी एक रुकावट हैं। सद्दाम हुसैन की बाअस पार्टी के साबिक़ अरकान अब भी पुलिस के दफ़्तर में दाख़िला से महरूम हैं।
कुवैत और ईरान से जंग की गई थी जिस की वजह से ईराक़ के अवाम को संगीन मआशी मसाइब का ख़मयाज़ा भुगतना पड़ा था। लेकिन तशद्दुद का सिलसिला अभी भी जारी है।