सपा-बसपा गठबंधन के बाद कांग्रेस ने UP की सभी 80 सीटों पर लड़ने का किया एलान

सपा-बसपा गठबंधन पर कांग्रेस की रणनीति का एलान करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस यूपी में राहुल गांधी के नेतृत्व में अपनी विचार धारा का पालन करते हुए लोकसभा चुनाव में डटकर लड़ेगी और बीजेपी को हराएगी। साथ ही यह भी घोषणा की कि यूपी में कांग्रेस सभी 80 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव की लड़ाई बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है और हम उन दलों को मदद लेंगे जो इस लड़ाई में हमारा साथ देंगे।

सपा-बसपा गठबंधन पर तंज कसते हुए कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कल से ज्यादा भीड़ यहां जुटी है। उन्होंने कहा कि यह कमरा ज्यादा बड़ा है। उन्होंने कहा कि सभी दल अपनी शक्ति के हिसाब से काम करने में जुटे हैं। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस ने ही देश को आजाद कराया और कांग्रेस ने ही टुकड़ों में बंटे भारत को एक बनाया है। हमारे नेताओं ने धर्म के आधार पर देश को नहीं बांटा। ओल्ड एज पेंशन, विधवा पेंशन और विकलांगों के लिए पेंशन शुरू की। किसानों के लिए हमने काम किया और आजादी से पहले हमने किसानों को उत्थान के लिए कांग्रेस ने सोचा। नेहरू जी की सरकार ने सबसे पहला काम जमींदारी को खत्म किया।

 

वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने किया गहन विचार मंथन
उत्तर प्रदेश में कल बने महागठबंधन से खुद को अलग रखे जाने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने आगामी लोकसभा चुनाव की रणनीति तैयार करने के लिए रविवार को यहां एक बैठक की। कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रभारी गुलाम नबी आजाद और प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने लोकसभा चुनाव की रणनीति को लेकर पार्टी राज्य मुख्यालय पर गहन विचार मंथन किया। कांग्रेस को कल घोषित सपा बसपा के महागठबंधन में शामिल नहीं किया गया है। अलबत्ता, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अमेठी सीट और उनकी मां सोनिया गांधी की रायबरेली सीट छोड़ दी गई है। इन दोनों सीटों पर गठबंधन के दोनों दल अपने अपने उम्मीदवार नहीं उतारेंगे।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आज बताया कि महागठबंधन से अलग रखे जाने के बाद इस बात की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं कि कांग्रेस सूबे में अपने बलबूते पर ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। सपा बसपा गठबंधन को लेकर कांग्रेस की तरफ से कोई तीखी या नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी को उपेक्षित करना ‘बहुत खतरनाक भूल’ हो सकती है। उनका कहना था कि सभी विपक्षी दलों की यह कोशिश होनी चाहिए कि वह भाजपा को हराने के लिए एकजुट हों।