सपा-बसपा गठबंधन लगभग तय,जल्द होगा ऐलान!

विधानसभा चुनाव के नतीजे 11 दिसंबर को आने वाले हैं. नतीजे आने से पहले ही लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर उत्तर प्रदेश में गठबंधन की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सपा और बसपा के बीच सबकुछ फाइनल हो चुका है. सीटों को लेकर बात फाइनल हो चुकी है. रिपोर्ट की मानें तो सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को शामिल नहीं किया गया है.

इस गठबंधन में राष्ट्रीय लोकदल (RLD) को भी शामिल किया गया है. ऐसी भी खबर है कि सुहेलदेव भारतीय समाज के ओम प्रकाश राजभर बीजेपी का दामन छोड़कर गठबंधन में शामिल हो सकते हैं. राजभर योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं, लेकिन वे लगातार अपने ही सरकार को निशाने पर लेते रहते हैं. ऐसी भी खबर है कि कृष्णा पटेल की अपना दल भी सपा-बसपा गठबंधन में शामिल हो सकती है. अनुप्रिया पटेल वाली अपना दल बीजेपी के साथ गठबंधन में है.

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जैसा कि अखिलेश यादव कहते आ रहे हैं कि वे इस गठबंधन के लिए दो कदम पीछे जाने को भी तैयार हैं. उसी अनुरूप में उनके खाते में कम सीटें आई हैं. गठबंधन में बसपा को तवज्जो दी गई है. उम्मीद है कि बसपा को 35-40 सीटें मिलेंगी, RLD को 3-4 सीटें मिलने की संभावना है. अगर, राजभर भी गठबंधन का हिस्सा बनते हैं तो उनके खाते में 2-3 सीटें आ सकती हैं. बाकी की सभी सीटें समाजवादी पार्टी के खाते में आएंगी.

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भले ही कांग्रेस इस गठबंधन में शामिल नहीं है, लेकिन अमेठी और रायबरेली से गठबंधन अपना प्रत्याशी नहीं खड़ा करेगा. ये दोनों सीटें राहुल गांधी और सोनिया गांधी की परंपरागत सीटें हैं.

 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा में गठबंधन नहीं होने को लेकर पिछले दिनों अखिलेश यादव ने खुलकर बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि कांग्रेस नहीं चाहती थी कि इस गठबंधन में बसपा शामिल हो, इसलिए गठबंधन कोई रूप नहीं ले पाया. सपा किसी भी सूरत में मायावती को नाराज नहीं करना चाहती है. इसलिए, सपा और कांग्रेस का भी गठबंधन नहीं हो पाया.

 

पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कांग्रेस नेतृत्व को लेकर कहा था कि यूपी में हमारा गठबंधन बीजेपी के खिलाफ है. बीजेपी को अगर सत्ता से हटाना है तो हमें एकजुट होने की जरूरत है. इसी दौरान उन्होंने कहा था कि, कांग्रेस गैर बीजेपी दलों को एकजुट करने में नाकामयाब रही है क्योंकि वह बहुत ज्यादा एरोगेंट है. अखिलेश यादव ने परोक्ष रूप से कहा था कि हम तो गठबंधन के लिए तैयार थे, लेकिन कांग्रेस से हाथ मिलाने के लिए तैयार नहीं थी.