सपा विधायक नारद राय की शह पर बलिया में दलित बस्ती फूंकी गई- रिहाई मंच

लखनऊ 30 मार्च 2016। रिहाई मंच ने बलिया के शिवपुर दीयर गांव में दलित समाज के 60 घरों को दबंगों द्वारा जला देने की घटना को सपा के गंुडाराज का ताजा उदाहरण बताया है। मंच ने इस पूरे प्रकरण में सदर विधायक नारद राय की भूमिका की जांच की मांग की है। मंच जल्दी ही घटना स्थल का दौरा करेगा।

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रिहाई मंच द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच के महासचिव राजीव यादव ने बताया कि 27 मार्च को शिवपुर दीयर गांव के दलितों की बस्ती के 60 घरों को क्रिकेट मैच में आॅस्टेªलिया पर भारत की जीत के जश्न की आड़ में दबंगांे ने जला दिए और असलहे से फायरिंग की तथा लाठी और धारदार हथियारों से लोगों को पीटा। जिसमें संजय गांेड के हाथ मंे गोली लग गई और श्रवण गोंड़ (20), पिंटू गांेड़ (25), आकाश गोंड़ (25), ममता देवी पत्नी छठ्ठू (25), अनीता देवी पत्नी ओम प्रकाश (30), दीना पासवान (50), केदार खरवार (60), भागीरथी देवी पत्नी भरत गोंड़ (60), भारत गोंड़ (38), अजित गांेड़ (20), नीलम हरीश (25), अनीता खरवार पत्नी वकील (30) समेत दजर्नों लोग गम्भीर रूप से घायल हो गए। शाहनवाज आलम ने आरोप लगाया कि हमलावरों को बलिया सदर के विधायक नारद राय का संरक्षण प्राप्त है जो दलितों को उनकी भूमि से बेदखल करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि घायल संजय गोंड़ ने रिहाई मंच से बातचीत में स्पष्ट तौर पर नारद राय की संलिप्ता का जिक्र किया है जिसका वीडियो भी मंच के पास है। लेकिन बावजूद इसके प्रशासन ने नारद राय से पूछ-ताछ तक नहीं की है।

रिहाई मंच प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने बताया कि नारद राय की संलिप्तता के कारण ही गम्भीर रूप से घायल लोगों को सरकारी अस्पताल से जबरन डिस्चार्ज कर दिया गया जिसके चलते घायल दर्जनों लोगों को अस्पताल छोड़ कर घर लौट आना पड़ा। उन्होेंने आरोप लगाया कि अस्पताल में आपूर्ती का ठेका नारद राय के बेटे नरंेद्र राय उर्फ निक्कू राय के पास है जिन्होंने इस काम के लिए ही पशुपतिनाथ नाम का एनजीओ बना रखा है। इसके अलावा अस्पताल के निमार्ण और पुनःनिर्माण का ठेका भी राय कंस्ट्रक्शन नाम की कम्पनी के पास है जिसके सर्वेसर्वा नारद राय के बेटे हैं। इसीलिए नारद राय के दबाव में पीडि़तों को जबरन डिस्चार्ज कर दिया गया। रिहाई मंच नेता ने कहा कि इस मामले के आरोपी सम्भू नाथ तिवारी नारद राय के करीबी हैं इसीलिए उनके द्वारा उत्पीडि़त दलितों का इलाज अस्पताल में नहीं होने दिया गया।

शाहनवाज आलम ने कहा है कि बलिया के ही हल्दी थाने के बजरहां गांव के बीडीसी सदस्य संजय पासवान को ग्राम प्रधान भुवनेश्वर राय ने अपने दरवाजे पर बुरी तरह पीटा जिसकी सूचना दिए जाने पर पुलिस ने उन्हें अस्पताल तो पहंुचा दिया लेकिन हमलावर प्रधान के खिलाफ कोई कार्यवाई नहीं की। इसीतरह बांसडीह रोड स्थित बिसुनपुरा गांव में भी नगर विधायक नारद राय के करीबी बताए जा रहे दबंगों ने दलितों के चार घरों में आग लगा दी जिसकी एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है और हमलावर आतंक का माहौल बनाए हुए हैं।

पीडि़तों से मिलने गए रिहाई मंच बलिया के नेताओं डाॅ अहमद कमाल और मोहम्मद मंजूर ने कहा कि बलिया समेत पूरे सूबे में दलितों पर हो रहे अत्याचार के लिए बसपा भी बराबर की जिम्मेदार है जिसने दलितों से सिर्फ वोट लिए उनके सशक्तीकरण के लिए कोई ठोस काम नहीं किया। जिसके चलते मनुवादी तत्वों के हौसले बराबर बढ़ते गए। उन्होंने आरोप लगाया कि बसपा ने अपने छुपे मनुवादी नीतियों के तहत ही मनुवादी संघ परिवार के लखनऊ स्थित माधव सेवा आश्रम को मुख्यमंत्री रहते हुए 10 लाख रूपए का अनुदान दिया था।