समाजवादी पार्टी से गठबंधन करने के बाद और 2019 लोकसभा चुनाव से पहले बसपा सुप्रीमो मायावती ने बड़ा फैसला लिया है। बसपा ने मऊ जिले के घोसी लोकसभा सीट के पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान दूसरी पार्टी से टिकट मांगने की फिराक में थे। पार्टी द्वारा बाहरी व्यक्ति को प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज बालकृष्ण ने विरोध प्रदर्शन किया था।
जिस पर हाईकमान ने कार्रवाई करते हुए पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान को उनके समर्थकों सहित पार्टी से निष्कासित कर दिया है।पूर्व सांसद बालकृष्ण चौहान 1984 में बसपा में शामिल हुए थे। राजनीति में आने से पहले यह एक शिक्षक थे।
पंजाब केसरी पर छपी खबर के अनुसार, बसपा की सदस्यता लेते हुए 1984 जुड़ गए । प्रदेश की जातीय राजनीति की हवा में 1999 में बसपा से टिकट मिला गया और घोसी लोकसभा से सांसद बन बैठे। 2014 के मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने जीत हासिल की। जिसके बाद बालकृष्ण ने 2014 में सपा ज्वाइन कर ली।
सपा ने उन्हें अपने पार्टी से टिकट भी दिया था, लेकिन बाद में बालकृष्ण चौहान का टिकट काटकर राजीव राय को दे दिया।सपा, बसपा और बीजेपी से उपेक्षित होने के बाद पूर्व सांसद ने 2015 को अपनी नई पार्टी पिछड़ा वर्ग महापंचायत पार्टी का गठन किया, लेकिन 2017 में एक बार फिर बालकृष्ण चौहान बसपा में शामिल हो गए। पूर्व सांसद बसपा के फाउंडर मेंबर्स में से एक थे।