भदोही: यूपी के भदोही जनपद में पिछले दो दशक से समाजवादी पार्टी को हर बड़ी जीत दिलाने में विजय मिश्रा का बड़ा योगदान रहा. वह खुद भदोही जिले के ज्ञानपुर विधानसभ सीट से समाजवादी पार्टी से लगातार तीन बार विधायक रहे. लेकिन प्राप्त सूत्रों के मुताबक बाहुबली नेता विजय मिश्रा ने सपा का साथ छोड़ कर निषाद पार्टी का दामन थम लिया है. टिकट न मिलने से नाराज विजय ने सपा को अलविदा कह दिया और ज्ञानपुर सीट से उनको पीस पार्टी व निषाद पार्टी का संयुक्त प्रत्याशी बनाया गया.
पत्रिका के ख़बरों के नुसार, समाजवादी पार्टी को भदोही जनपद में पिछले दो दशक से हर बड़ी जीत दिलाने में विजय मिश्रा का हाथ रहता था. विधान सभा का चुनाव हो या जिला पंचायत अध्यक्ष का विजय के सामने पूरे जिले में किसी भी पार्टी को जीत मिलनी आसान नहीं होती थी. लगातार तीन बार से ज्ञानपुर विधानसभा सीट से जीतने वाले विजय को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की नाराजगी से नुकसान उठाना पड़ा, और होने जा रहे विधान सभा चुनाव में टिकट काट दिया गया. जिससे नाराज इस विधायक ने पीस पार्टी और निषाद पार्टी गठबंधन का दामन थाम लिया और इसी गठबंधन से मैदान में उतर गए. विजय मिश्रा की गिनती पूर्वांचल में राजनीति के बहुबलियों के तौर पर होती हैं.
विजय के पहले इस सीट पर यह मिथ्या बनी हुयी थी कि यहां जो एक बार विधायक बना उसे दूसरी जीत नसीब नहीं हुई, पर विजय की लगातार जीत ने लोगों की इस मिथ्या को तोड़ दिया. उन्होंने अपने पत्नी रामलली को भी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया था. वर्तमान में भी विजय की पत्नी रामलली मिश्रा मिर्जापुर-सोनभद्र क्षेत्र से एमएलसी हैं.
पिछले विधानसभा चुनाव में वह जेल में रहते हुए बड़े अंतर से बसपा प्रत्याशी को हराकर लगातार तीसरी बार विधायकव बने. चुनाव के दौरान इनकी पत्नी और बेटी ने बिना कोई वादा किए घर घर वोट मांगा था. चुनाव जीतने के बाद विजय मिश्रा जेल से बाहर आ गए. विजय मिश्रा मुलायम सिंह यादव, शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के करीबी बताए जाते हैं.
माना जा रहा है कि सपा की लड़ाई में विजय को सपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और सीएम अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव के करीबी होने से यह नुकसान उठाना पड़ा है. विजय जितने करीबी शिवपाल यादव के हैं उतने ही करीबी बाहुबली मुख्तार अंसारी के भी हैं. मुख्तार और शिवपाल का करीबी होना अखिलेश को बिलकुल पसंद नहीं था जिसकी वजह से सीएम ने इनका टिकट काट दिया और विजय ने सपा को अलविदा कह दिया.