देश की सर्वोच्च अदालत केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश संबंधी अपने फैसले के खिलाफ ओपेन कोर्ट में पुनर्विचार याचिकाओं को सुनने को तैयार हो गया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले पर रोक नहीं लगाया है. अब मामले की सुनवाई 22 जनवरी से खुली अदालत (Open court) में होगी.
मंगलवार सुबह याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई से अपील की कि वो इस मामले को ओपन कोर्ट में सुनें और जल्द सुनवाई करें. इस पर CJI ने इनकार करते हुए कहा कि मामला दोपहर तीन बजे सुना जाएगा, लेकिन ओपन कोर्ट में नहीं सुना जाएगा. शीर्ष अदालत के फैसले पर 49 पुनर्विचार याचिकाएं डाली गई हैं.
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने चैंबर में इन पुनर्विचार याचिकाओं पर गौर किया और सारे मामले में न्यायालय में सुनवाई करने का निश्चय किया. चैंबर में होने वाली कार्यवाही में वकील उपस्थित नहीं रहते हैं.
शीर्ष अदालत की इस पीठ में CJI रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं.
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘सभी पुनर्विचार याचिकाओं पर सभी लंबित आवेदनों के साथ 22 जनवरी 2019 को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई होगी. हम यह भी स्पष्ट करते है कि इस न्यायालय के 28 सितंबर 2018 के फैसले और आदेश पर कोई रोक नहीं है.’
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश की इजाजत दी है, जिसका जोरशोर से विरोध हो रहा है. तत्कालीन CJI दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायमूर्तियों की पीठ ने 28 सितंबर को 4:1 के अपने फैसले में कहा था कि सबरीमाला में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लैंगिक भेदभाव के समान है.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अयप्पा के भक्त विरोध कर रहे हैं, जिसके चलते अभी तक 10 से 50 उम्र की कोई महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी है. अयप्पा के भक्त 10 से 50 की उम्र की महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं.