समलैंगिकता मामला: सुप्रीम कोर्ट ने पांच रुकनी आईन पीठ को सौंपा
नई दिल्ली :धारा 377 यानी समलैंगिकता के खिलाफ दायर क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला किया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को 5 मेम्ब्राना संविधान पीठ को सौंप दिया। इस तरह इस मामले पर कानूनन रूप से और तफ्सील से विचार किया जाएगा। तमाम हिमायतियों ने इस फैसले पर खुशी जताई है। सुप्रीम कोर्ट के बाहर जश्न का माहौल देखा जा रहा है।
आज फैसले से पहले ही सोशल मीडिया पर सुबह से ही यह मुद्दा छाया हुआ है। ट्विटर पर #Section377 टॉप ट्रेंड में चल रहा है। जानिए इस मसले पर आज तक क्या हुआ,दिल्ली हाई कोर्ट ने 2009 में आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता को अपराधमुक्त कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पलटते हुए धारा 377 बरकरार रखी थी।12 दिसम्बर 2013 को आला अदालत का फैसला आने पर कानूनी हलकों और समलैंगिकता हिमायती कारकुनों में काफी एहतजाज हुआ था।कोर्ट ने 28 जनवरी 2014 को दुबारा विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए भी धारा 377 की जवाज़ को सही ठहराया था।
तीन अप्रैल 2014 को तत्कालीन चीफ जस्टिस पी. सदाशिवम, जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस एचएल दत्तू और एसजे मुखोपाध्याय (सभी रिटायर्ड ) की पीठ ने खुली अदालत में क्यूरेटिव याचिका पर सुनवाई का हिदायत दिया था।