समाजी पसमांदगी दूर करने के लिए तालीमी तरक़्क़ी की ज़रूरत

इदारा सियासत की तरफ से मिल्लत के नौनिहालों की तालीमी हालत को बेहतर बनाने पर तवज्जा मर्कूज़ किए हुए है चूँकि मिल्लत की तालीमी तरक़्क़ी ही मिल्लत की मआशी और समाजी पसमांदगी के ख़ातमे से ही मुम्किन है।

ज़ाहिद अली ख़ान एडीटर सियासत ने ये बात कही। उन्होंने बताया कि मिल्लत फ़ंड के ज़रीया मासूम तलबा के इलावा प्रोफ़ैशनल कॉलिजस में तालीम हासिल करने वालों को तालीमी इमदाद की फ़राहमी उनके तालीमी अख़राजात में तआवुन के अलावा उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई की जा रही है।

इदारा सियासत के मिल्लत फ़ंड के ज़रीये 66 तलबा में जुमला एक लाख 46 हज़ार रुपये की तक़सीम-ए-अमल में लाई गई। ज़ाहिद अली ख़ान ने बताया कि मिल्लत-ए-इस्लामीया की मौजूदा सूरत-ए-हाल को तबदील करने के लिए एक इन्क़िलाब की ज़रूरत है।

मुल्क ने जिस तरह सबज़ इन्क़िलाब सफ़ैद इन्क़िलाब देखा है यक़ीनन इसी तर्ज़ पर मुस्तक़बिल क़रीब में तालीमी इन्क़िलाब के ज़रीया एक तबदीली रौनुमा होगी । उन्हों ने बताया कि मुस्लमानों की तालीमी तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी हैके मिल्लत के नौनिहालों की तालीमी हालत को बेहतर बनाते हुए उन्हें तर्क तालीम से रोकना होगा।

एडीटर सियासत ने कहा कि मुल्क भर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में मिल्लत-ए-इस्लामीया की तरक़्क़ी के लिए तड़पता हुआ दिल रखने वालों की बड़ी तादाद मौजूद है जो मिल्लत फ़ंड के तवस्सुत से क़ौम की तामीर में अहम किरदार अदा कररही है।